उज्जैन। महाकाल की नगरी उज्जैन में शिप्रा नदी में सीवरेज और गंदा पानी पहुंचने पर मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ.मोहन यादव ने चिंता जताते हुए एक योजना बनाने के निर्देश दिए साथ ही कहा कि कचरा जमा होने से पांच गांवों में पानी पीने लायक भी नहीं रहा। मुख्यमंत्री डा यादव ने रविवार को उज्जैन में समीक्षा बैठक करते हुए कहा कि सीवरेज एवं नालों का गन्दा पानी शिप्रा नदी में न मिले, इसके लिए उज्जैन एवं इंदौर के अधिकारी प्लान तैयार करें।
उन्होंने कहा, यह चिंता का विषय है कि सीवरेज एवं नालों का गंदा पानी शिप्रा में मिल रहा है। गंदा पानी शिप्रा में जाने से कैसे रोकें, इसका प्लान तैयार किया जाए।
मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि गंदे पानी के नाले और सीवरेज का पानी को रोकने के लिए सांवेर, रामवासा, पंथपिपलई, राघौपिपल्या में स्टापडेम बनाया जाए और यहां वाटर ट्रीटमेंट प्लांट भी लगाया जाए। वाटर ट्रीटमेंट प्लांट से साफ हुए पानी का उपयोग किसान सिंचाई के लिए करें, इसके लिए किसानों को सुझाव भी दी जाए। मुख्यमंत्री ने कहा कि सदावल में पम्पिंग स्टेशन है। पानी को स्टापडेम की ओर डायवर्ट किया जाए। मुख्यमंत्री ने कहा कि सांवेर पर ही गन्दे पानी को वाटर ट्रीटमेंट प्लांट एवं स्टापडेम बनाकर कंट्रोल कर लें तो शिप्रा शुद्ध रहेगी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि शहर में टाटा प्रोजेक्ट अपना कार्य समय पर पूरा नहीं कर रही है। उनके कार्यों की पुन समीक्षा की जाए। नृसिंह घाट में किसी भी स्थिति में गंदगी इकट्ठी न हो, अन्यथा वह रामघाट तक प्रवाहित होती है। गोंदिया ट्रेंचिंग ग्राउंड के संबंध में मुख्यमंत्री ने कहा कि एक ही जगह कचरा डम्प होने से आसपास के पांच गांव में पेयजल पीने योग्य नहीं रह गया है। इस समय नई-नई टेक्नालॉजी आ गई है। जरूरत है कि नई टेक्नालॉजी के द्वारा हम कचरा अपशिष्ट प्रबंधन करें। सांसद अनिल फिरोजिया ने रूद्र सागर में मिलने वाले नाले, नई कॉलोनियों में पानी निकासी की व्यवस्था के संबंध में आवश्यक जानकारी दी।
विधायक अनिल जैन कालूहेड़ा ने कहा कि गंदे नालों के पानी की रोकथाम के लिए छोटे-छोटे स्टापडेम बनाने की जरूरत है।