रामगढ़, झारखंड। महाकुंभ में स्नान कर पुण्य कमाने की लालसा में एक व्यक्ति अपनी पत्नी के साथ प्रयागराज तो चला गया, मगर अपनी बूढ़ी माँ को घर में बंद करके छोड़ गया। तीन दिनों तक माँ सिर्फ पोहा और पानी के सहारे जिंदा रही, लेकिन जब कुछ भी खाने को नहीं मिला, तो भूख से तड़पती माँ प्लास्टिक खाने की कोशिश करने लगी।
घटना झारखंड के रामगढ़ जिले की है। मोहल्ले के पड़ोसियों को जब घर से अंदर से आ रही कराहने की आवाज़ें सुनाई दीं, तो उन्होंने संदेह होने पर उस व्यक्ति की बेटी को सूचना दी। बेटी आई और जब दरवाजा खोला, तो जो दृश्य दिखा, वह दिल दहलाने वाला था।
भूख से तड़पती माँ प्लास्टिक खाने को मजबूर
कमरे के अंदर एक वृद्धा फर्श पर बेसुध पड़ी थी। उनके पास थोड़ा सा पोहा और पानी रखा था, जो खत्म हो चुका था। भूख से बेहाल माँ को जब कुछ नहीं मिला, तो उन्होंने प्लास्टिक खाने की कोशिश की।
पड़ोसियों ने तुरंत बुजुर्ग महिला को पानी और खाना दिया। महिला इतनी कमजोर हो चुकी थी कि ठीक से बोल भी नहीं पा रही थी। बेटी ने माँ को अस्पताल ले जाने का फैसला किया, जहां डॉक्टरों ने बताया कि वह गंभीर रूप से कुपोषित हो गई थीं।
पड़ोसियों का गुस्सा, प्रशासन से की गई कार्रवाई की मांग
मोहल्ले वालों का कहना है कि बेटा माँ को घर में बंद कर चला गया, लेकिन किसी को इसकी भनक तक नहीं लगी। जब आवाजें तेज़ हुईं, तब जाकर लोगों को शक हुआ। अब पड़ोसियों ने प्रशासन से मांग की है कि उस व्यक्ति के खिलाफ कार्रवाई हो।
इस घटना ने समाज में बढ़ती संवेदनहीनता पर बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है। जहाँ एक ओर लोग पुण्य कमाने के लिए तीर्थयात्रा पर जाते हैं, वहीं अपने घर में माता-पिता को बेसहारा छोड़ जाते हैं।