नोएडा। जनपद में कृमि मुक्ति कार्यक्रम के तहत बृहस्पतिवार (एक फरवरी) को एक से 19 साल तक के बच्चों और किशोरों-किशोरियों को पेट के कीड़े निकालने की दवा (एल्बेंडाजोल) खिलाई जाएगी। जनपद में स्कूलों व आंगनबाड़ी केन्द्रों पर करीब 8.07 लाख बच्चे व किशोर-किशोरी एल्बेंडाजोल खाएंगे। इसका शुभारंभ बृहस्पतिवार को निठारी स्थित कम्पोजिट स्कूल में मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) डा. सुनील कुमार शर्मा करेंगे।
अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी एवं कार्यक्रम के नोडल अधिकारी डा. ललित कुमार ने बताया- एक फरवरी को एक से 19 साल तक के बच्चों व किशोर-किशोरियों को पेट के कीड़े निकालने की गोली खिलाई जाएगी। उन्होंने बताया- एक फरवरी को जो बच्चे दवा खाने से छूट जाएंगे, उन्हें मॉप अप राउंड में पांच फरवरी को गोली खिलाई जाएगी। जनपद में 8.07 लाख बच्चों को दवा खिलाने का लक्ष्य है।
कुपोषित और एनीमिक बना देते हैं पेट के कीड़े
डा. ललित कुमार ने बताया- पेट के कीड़े बच्चों, किशोर-किशोरियों के स्वास्थ्य के लिए बहुत हानिकारक होते हैं। पेट में कीड़े होने के कारण बच्चे एनीमिया का शिकार तो होते ही हैं साथ ही कुपोषित भी हो जाते हैं। यह कीड़े बच्चों-किशोरों की आंत में रहते हैं और जीवित रहने के लिए शरीर के जरूरी पोषक तत्व को खाते रहते हैं, इस वजह से बच्चे एनीमिया और कुपोषण के शिकार हो जाते हैं। उन्होंने अभिभावकों से अपील की है कि बच्चों को यह दवा जरूर खिलाएं।
खाली पेट नहीं खाई जाती एल्बेंडाजोल
डा. ललित ने बताया-पेट के कीड़े निकालने की दवा एल्बेंडाजोल बच्चों-किशोरों को खाली पेट नहीं खिलाई जाती है, इसलिए अभिभावक बच्चों को खाना खिलाकर ही स्कूल भेजें। इसके अतिरिक्त बीमार बच्चों को भी दवा नहीं खिलाई जाएगी। कुछ बच्चों में दवा के सेवन के बाद उल्टी, मितली और चक्कर आने जैसे सामान्य लक्षण दिखते हैं जिनसे घबराने की आवश्यकता नहीं है । यह सामान्यतया अपने आप ठीक हो जाते हैं ।
करीब 8.07 लाख बच्चे व किशोर-किशोरी खाएंगे दवा
राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम की डीईआईसी मैनेजर रचना वर्मा ने बताया-जनपद में करीब 8.07 लाख बच्चे व किशोर-किशोरी एल्बेंडाजोल खाएंगे। एक से दो वर्ष तक के बच्चों को आधी गोली पानी से खिलाई जाएगी, जबकि दो से 19 वर्ष तक के बच्चों को एक गोली खिलाई जाएगी। गोली खाली पेट नहीं खानी है। इसके अलावा यदि कोई बच्चा बीमार है तो उसे भी यह गोली नहीं खानी है। स्वास्थ्य विभाग की टीम और प्रशिक्षित शिक्षक और आंगनबाड़ी- आशा कार्यकर्ता यह गोली खुद अपने सामने खिलाएंगी, अभियान में स्वास्थ्य विभाग के अलावा शिक्षा विभाग और समेकित बाल विकास विभाग का भी सहयोग लिया जाएगा। छोटे बच्चों को गोली निगलने में परेशानी हो सकती है, इसलिए ऐसे बच्चों को गोली पीसकर खिलाई जाती है। शासन से मिले निर्देशानुसार बच्चों को स्कूलों में दोपहर के भोजन के बाद यह गोली खिलाई जाएगी, क्योंकि खाली पेट गोली खाने की मनाही है। यह गोली किसी भी प्रकार से बच्चों के लिए नुकसानदायक नहीं होती लेकिन फिर भी प्रशिक्षित की निगरानी में ही बच्चों को गोली खिलाई जाती है।
रचना वर्मा ने बताया-जनपद में 1108 आंगनबाड़ी केन्द्र और करीब 1648 सरकारी व निजी स्कूल हैं। उन्होंने बताया आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं की मदद से एक से पांच साल तक के बच्चों को आंगनबाड़ी केन्द्रों पर दवा खिलाई जाएगी, जबकि स्वास्थ्य विभाग की टीम स्कूलों में छह से 19 साल तक के बच्चों व किशोर-किशोरियों को शिक्षकों की मदद से दवा खिलाएगी।
कृमि मुक्ति के फायदे-
• स्वास्थ्य और पोषण में सुधार
• रोग प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि
• एनीमिया नियंत्रण
• सीखने की क्षमता में सुधार
कृमि संक्रमण के लक्षण-
• दस्त, पेट में दर्द, कमजोरी, उल्टी और भूख न लगना कृमि संक्रमण के लक्षण हो सकते हैं ।
• बच्चे के पेट में कीड़े की मात्रा जितनी अधिक होगी, संक्रमित व्यक्ति के लक्षण उतने ही अधिक होंगे।
• हल्के संक्रमण वाले बच्चों में आमतौर पर कोई लक्षण नहीं दिखते हैं।