प. दीनदयाल उपाध्याय के जन्मोत्सव पर अतिथियों ने उनके जीवन पर प्रकाश डाला 

छात्रों ने वंदे मातरम पर दी शानदार  प्रस्तुति 

मेरठ।  पंडित दीनदयाल उपाध्याय सेवा संस्थान की ओर से पंडित दीनदयाल उपाध्याय के जन्मोत्सव पर कार्यक्रम का आयोजन शास्त्री नगर स्थित धन्वंतरी भवन में किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ मेरठ हापुर लोकसभा सांसद राजेंद्र अग्रवाल, कैंट विधायक अमित अग्रवाल, एमएलसी धर्मेंद्र भारद्वाज, मेयर हरिकांत अहलूवालिया ने भारत माता के चित्र पर माल्या अर्पण व दीप प्रज्वलित कर किया।

 पंडित दीनदयाल उपाध्याय सेवा संस्था के अध्यक्ष ब्रह्मपाल सिंह व महामंत्री बृजभूषण शर्मा व संचालक विनोद भारती उपस्थित रहे। स्कूली विद्यार्थियों द्वारा वंदे मातरम की प्रस्तुति दी गई।कार्यक्रम के सफल आयोजन में डॉ बृजभूषण शर्मा, ब्रह्मपाल सिंह एडवोकेट, सरल माधव, सत्येंद्र ढिल्लन, डॉ अनिल कुमार कौशिक, अनुभव अग्रवाल का विशेष सहयोग रहा। इस दौरान मुख्य अतिथियों ने पंडित दीनदयाल के जीवन की व्याख्या सुनाई। जिसमें उन्होंने बताया कि पंडित दीनदयाल उपाध्याय का जन्म 25 सितम्बर 1916 को मथुरा जिले के “नगला चन्द्रभान” ग्राम में हुआ था।उनके पिता का नाम भगवती प्रसाद उपाध्याय था, जो नगला चंद्रभान (फरह, मथुरा) के निवासी थे। उनकी माता का नाम रामप्यारी था, जो धार्मिक प्रवृत्ति की थीं। पिता रेलवे में जलेसर रोड स्टेशन के सहायक स्टेशन मास्टर थे। रेल की नौकरी होने के कारण उनके पिता का अधिक समय बाहर ही बीतता था। कभी-कभी छुट्टी मिलने पर ही घर आते थे।दो वर्ष बाद दीनदयाल के भाई ने जन्म लिया, जिसका नाम शिवदयाल रखा गया। पिता भगवती प्रसाद ने बच्चों को ननिहाल भेज दिया। उस समय उपाध्याय जी के नाना चुन्नीलाल शुक्ल धानक्या (जयपुर, राज०) में स्टेशन मास्टर थे। नाना का परिवार बहुत बड़ा था। दीनदयाल अपने ममेरे भाइयों के साथ बड़े हुए। नाना का गाँव आगरा जिले में फतेहपुर सीकरी के पास ‘गुड़ की मँढई’ था।संघ के माध्यम से ही उपाध्याय जी राजनीति में आये। 21 अक्टूबर 1951 को डॉ० श्यामाप्रसाद मुखर्जी की अध्यक्षता में ‘भारतीय जनसंघ’ की स्थापना हुई। गुरुजी (गोलवलकर जी) की प्रेरणा इसमें निहित थी। 1952 में इसका प्रथम अधिवेशन कानपुर में हुआ। उपाध्याय जी इस दल के महामंत्री बने। इस अधिवेशन में पारित 15 प्रस्तावों में से 7 उपाध्याय जी ने प्रस्तुत किए थे।

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