कोलकाता। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बुधवार को कहा कि राज्य के मौजूदा संवैधानिक प्रमुख सी.वी. आनंद बोस पिछले राज्यपाल जगदीप धनखड़ से भी ‘बदतर’ हैं।
उन्होंने कहा, “वर्तमान राज्यपाल राज्य के विश्वविद्यालयों के कुलपतियों की नियुक्ति के संबंध में मनमौजी तरीके से काम कर रहे हैं। वह ऐसे लोगों को कुलपति नियुक्ति कर रहे हैं, जिनका अकादमिक जगत से कोई लेना-देना नहीं है।
ममता ने कहा, “जगदीप धनखड़ के साथ भी हमारे मतभेद थे, लेकिन उन्होंने कभी भी मौजूदा राज्यपाल की तरह मनमाने फैसले नहीं लिए।“
मुख्यमंत्री ने कहा, “मानदंडों के अनुसार, राज्य सरकार कुलपति पद के लिए तीन नामों की सिफारिश करेगी और वह उनमें से एक का चयन करेंगे, लेकिन मौजूदा राज्यपाल को ऐसे मानदंडों की परवाह नहीं है।”
मुख्यमंत्री की यह टिप्पणी तब आई, जब राज्यपाल ने भ्रष्टाचार के मुद्दे पर जनता से सीधे जानकारी प्राप्त करने के लिए गवर्नर हाउस के भीतर एक भ्रष्टाचार-रोधी सेल खोलने की घोषणा की।
मुख्यमंत्री ने इस मुद्दे को लेकर भी राज्यपाल पर हमला बोलते हुए कहा कि उन्हें इस तरह का सेल खोलने का कोई अधिकार नहीं है।
मुख्यमंत्री ने कहा, “वह राज्य सरकार के कामकाज में अनावश्यक रूप से हस्तक्षेप कर रहे हैं। वह राज्य की उच्च शिक्षा पर एक विशेषज्ञ समिति का गठन कर रहे हैं, जिसमें बाहर के लोगों को शामिल किया जा रहा है। यह उनका नहीं, बल्कि राज्य सरकार का काम है।”
इससे पहले, शिक्षा मंत्री ब्रत्य बसु ने भी राजभवन परिसर में भ्रष्टाचार-रोधी सेल खोलने के लिए राज्यपाल की आलोचना की थी।
बसु ने कहा था, “गवर्नर हाउस की ओर से इस तरह का हस्तक्षेप सभी गैर-भाजपा शासित राज्यों में हो रहा है। लेकिन पश्चिम बंगाल में उस हस्तक्षेप ने अभूतपूर्व रूप ले लिया है। जब उन्होंने शिक्षा विभाग के साथ चर्चा किए बिना इस सेल को खोलने का फैसला किया है, तो ऐसा लगता है कि वह विभाग को भ्रष्टाचार से भरा मान रहे हैं।”
उन्होंने यह भी कहा कि राज्य सरकार राज्यपाल की ओर से राज्य शिक्षा विभाग को अंधेरे में रखने की ऐसी कार्रवाइयों के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाने पर विचार कर रही है।