18 वर्ष तक बच्चों को मिले निशुल्क शिक्षा, चुनावी घोषणा पत्र में शामिल करें राजनीतिक दलः मेहर चंद
मुजफ्फरनगर। शिक्षा के प्रति जागरुकता लाने के मकसद से सामाजिक संगठनों ने एकजुट होकर राजनीतिक दलों से मांग की है कि 18 वर्ष से कम उम्र के सभी बच्चों के लिए मुफ्त और अनिवार्य कर दी जाए, यह प्रयास बाल विवाह जैसी कुरीति पर बड़ा प्रहार हो सकता है। सामाजिक संगठनों ने आग्रह करते हुए कहा कि राजनीतिक दल से इसे चुनावी घोषणापत्र में शामिल करें क्योंकि यह कदम बाल विवाह के खिलाफ देश की लड़ाई में गेम-चेंजर बन सकती है।
संस्था के सचिव मेहर चंद ने बताया कि- बाल विवाह मुक्त भारत अभियान देश भर के 160 गैर सरकारी संगठनों का एक गठबंधन है जो बाल विवाह के उच्च प्रसार वाले 300 से अधिक जिलों में सरकारों के साथ मिलकर काम कर रहा है और इसका लक्ष्य 2030 तक देश से इस सामाजिक अपराध को समाप्त करना है। पिछले छह महीनों में ही देश भर में काउंसलिंग के माध्यम से 50,000 बाल विवाह रोके गए हैं, जबकि लगभग 10,000 बाल विवाहों पर कानूनी कार्रवाई शुरू की गई है। विशेष रूप से, 2030 तक कम उम्र, बाल और जबरन विवाह का उन्मूलन भी संयुक्त राष्ट्र सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) के तत्वावधान में देशों द्वारा की गई एक वैश्विक प्रतिबद्धता है।
उन्होंने बताया कि- बाल विवाह के खिलाफ इस लड़ाई को बढ़ाने के लिए ठोस कदम उठाने की जरूरत है। इसके लिए 18 वर्ष की आयु तक के सभी बच्चों की शिक्षा मुफ्त और अनिवार्य बनाई जाए और सभी राजनीतिक दलों से आगामी लोकसभा चुनावों के लिए अपने चुनावी घोषणापत्र में इस महत्वपूर्ण मुद्दे को शामिल करने का भी आग्रह किया।
“महिला कार्यकर्ताओं और ग्राम नेताओं के नेतृत्व में, हम मुजफ्फरनगर में 76 बाल विवाह रोकने में सक्षम हुए हैं। हालाँकि, पूरे देश में शिक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता बनाने के लिए हम सरकार से राज्य में बाल विवाह पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने के लिए भी आग्रह करते है।
गौरतलब है कि केरल में जहां महिला साक्षरता दर 96 प्रतिशत तक है, बाल विवाह का प्रचलन राष्ट्रीय औसत 23.3 प्रतिशत के मुकाबले 6 प्रतिशत है। मिजोरम में महिला साक्षरता दर 93 प्रतिशत की उच्च है और बाल विवाह का प्रचलन 8 प्रतिशत अपेक्षाकृत कम है। इसके विपरीत, बिहार जैसे राज्यों में जहां महिलाओं की साक्षरता दर 61 प्रतिशत है, वहीं बाल विवाह दर आश्चर्यजनक रूप से 41 प्रतिशत है। मध्य प्रदेश में महिला साक्षरता दर 67.5 प्रतिशत है जबकि बाल विवाह दर 23.1 प्रतिशत है। इस बीच, हरियाणा में साक्षरता दर 73.8 प्रतिशत है जबकि बाल विवाह का प्रचलन 12.5 प्रतिशत है।