मुजफ्फरनगर। संस्था ग्रामीण समाज विकास केंद्र ने कैलाश सत्यार्थी चिल्ड्रन फाउंडेशन के तत्वाधान में एक्सेस टू जस्टिस प्रोजेक्ट के माध्यम से एक जागरुकता रैली का आयोजन किया। जिसका उद्घाटन जनपद न्यायाधीश विनय कुमार द्विवेदी व ने हरी झंडी दिखाकर किया। इस अवसर पर अपर जनपद न्यायाधीश/सचिव जिला विकास प्राधिकरण अनिल कुमार, श्रम विभाग से श्रम आयुक्त राजकुमार, बालेश्वर, शालू राणा, जिला विधिक से गौरव, धनीराम, सस्था ग्रामीण समाज विकास केंद्र से प्रोजेक्ट लीडर गजेंद्र सिंह, अमित , राहुल, रविता, धर्मेंद्र समेत स्कूल के अध्यापक व छात्र-छात्राएं मौजूद रहे।
जनपद न्यायाधीश विनय कुमार द्विवेदी ने बताया कि- बाल श्रम का अर्थ है, वह श्रम जो 14 वर्ष की एवं उससे कम उम्र के बच्चे से उसकी इच्छा के विरुद्ध लिया जाए। वह किशोर नहीं हैं जो दिन में कुछ घंटे खेल और पढ़ाई से निकालकर अपने खर्च के लिए काम करते हैं। यह वे बच्चे भी नहीं हैं जो पारिवारिक जमीन पर खेती में मदद करते हैं या घरेलू कार्य में मदद करते हैं बल्कि यह वह मासूम हैं जो वयस्कों की जिंदगी बिताने को मजबूर हैं। हमे ऐसे बच्चों को मजदूरी से निजात दिलानी होगी, जिसके लिए ठोस कदम उठाने की जरुरत है।
एडीएम नरेंद्र बहादुर ने बताया कि- आज के युवा तरक्की के कई पायदानों को पार कर चुके हैं, कई नए रिकॉर्ड्स बनाने में संलग्न हैं परंतु विडंबना है कि बाल श्रम बेगार की चक्की में बचपन को पीसता नजर आ रहा है। उन्होंने जनपदवासियों से अपील करते हुए कहा कि यदि किसी बच्चें से बाल मजदूरी करवाई जाती है तो इसकी सूचना प्रशासन को दें।
बेसिक शिक्षा अधिकारी शुभम शुक्ला ने बताया कि पढ़ाई यानि शिक्षा मनुष्य को असभ्यता से सभ्यता की ओर ले जाने वाला एक सशक्त माध्यम है इसलिए पढ़ाई के महत्व को बिल्कुल भी नकारा नहीं जा सकता। बालश्रम, बच्चों से स्कूल जाने का अधिकार छीन लेता है, इसको खत्म करना जरुरी है।
संस्था के सचिव मेहर चंद ने बताया कि आजादी के 75 साल पूरे हो चुके हैं। एक ओर हम विश्व की पांचवी उभरती हुई अर्थव्यवस्था बनने का जश्न मना रहे हैं वही दूसरी ओर लाखों बच्चे आज भी मजदूर बनने पर मजबूर हो रहे हैं। हमारी संस्था ऐसे बच्चों को नई दिशा देने का काम करेगी ताकि बच्चें पढ़-लिख सकें और उनका जीवन रोशन हो। उन्होंने जनपदवासियों से अपील करते हुए कहा कि शिक्षा का महत्व समझे, अपने बच्चों को स्कूल भेजें, उनके हाथों में किताबें दे औजार नहीं। उन्होंने बताया कि सस्था ने अब तक 1. 5 लाख लोगों को बाल विवाह के लिए जागरूक कर शपथ दिलवाई,
175 श्रमिकों को लेबर डिपार्टमेंट के साथ मिलकर रेस्क्यू किया,जिसमें 100 से अधिक बच्ची है, 20 बाल यौन शोषण के मामले में पीड़ित बच्चों को न्याय दिलाने के लिए लगातार प्रयासरत है|