लखनऊ। उत्तर प्रदेश में राज्यसभा की दस सीटों के लिये हो रहे चुनाव के बीच समाजवादी पार्टी (सपा) को झटका लगा जब पार्टी के वरिष्ठ नेता मनोज पांडे ने सपा विधानमंडल दल के मुख्य सचेतक पद से इस्तीफा दे दिया और इसके साथ ही चुनाव में क्रास वोटिंग की संभावना बढ़ गयी है।
राज्यसभा की दस सीटों के लिए सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के आठ और समाजवादी पार्टी (सपा) के तीन उम्मीदवार मैदान में हैं।
सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव को भेजे गये पत्र में ऊंचाहार विधानसभा क्षेत्र के विधायक पांडे ने कहा “ आपने मुझे विधानसभा में सपा के विधानमंडल का मुख्य सचेतक नियुक्त किया था। अत: मैं मुख्य सचेतक पद से इस्तीफा दे रहा हूं। कृपया स्वीकार करें।”
पांडे समेत सपा के कुछ अन्य विधायकों के भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में शामिल होने की संभावना बढ़ गयी है। भाजपा प्रवक्ता सुंधाशु त्रिवेदी ने कहा कि कुछ घंटों का इंतजार कीजिये, सब कुछ सामने आ जायेगा। प्रदेश के परिवहन मंत्री दयाशंकर सिंह ने कहा कि पांडे सनातनी हैं और अयोध्या में राम मंदिर के दर्शन जाने के विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना के प्रस्ताव के पक्षधर थे।
सपा के राष्ट्रीय महासचिव शिवपाल सिंह यादव ने संकेत दिया कि बागी विधायकों के खिलाफ पार्टी अनुशासानात्मक कार्रवाई कर सकती है। उन्होने कहा “ वे सपा के चुनाव चिन्ह पर चुनाव जीते थे। देखा जायेगा बाद में हम लोग भी देखेंगे कि क्या हो सकता है। ”
गौरतलब है कि भाजपा ने पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी, पूर्व केंद्रीय मंत्री आरपीएन सिंह, संगीता बलवंत, साधना सिंह, अमरपाल मौर्य, तेजवीर सिंह, नवीन जैन और संजय सेठ को मैदान में उतारा है जबकि मुख्य विपक्षी दल सपा ने मौजूदा राज्यसभा सांसद जया बच्चन, पूर्व आईएएस अधिकारी आलोक रंजन और पूर्व मंत्री रामजी लाल सुमन को मैदान में उतारा है।
विधान भवन के तिलक हाल में जारी मतदान में 403 सदस्यीय सदन के करीब 399 विधायक राज्यसभा के लिए द्विवार्षिक चुनाव में वोट डालेंगे। उत्तर प्रदेश विधानसभा में संख्या बल के हिसाब से देखें तो सपा के लिए तीनों उम्मीदवारों को जिताना आसान नहीं होगा। 403 सीटों वाले सदन में सपा के 108 सदस्य हैं और एक उम्मीदवार की जीत सुनिश्चित करने के लिए पार्टी को कम से कम 37 सदस्यों के वोट की जरूरत है। इसके अलावा इसके दो सदस्य फिलहाल जेल में बंद हैं।