गोरखपुर। सशस्त्र सीमा बल के द्वारा नेपाल-भारत एवं भारत-भूटान के अंतरराष्ट्रीय सीमा की सुरक्षा का कार्यभार संभालती है, उपयुक्त दोनों अंतरराष्ट्रीय सीमा पर ड्यूटी करना भौगोलिक स्थिति के अनुसार काफी कठिन एवं जटिल है , ड्यूटी के दौरान कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। जैसे बाढ़, सर्प दंश, गम्भीर चोट, आपातकालीन-प्रचलन, जीवन रक्षक पद्धति इत्यादि का प्रबंधन कैसे करें इसके बारे में एनडीआरएफ के टीम द्वारा आयोजित एक दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम में आज दिनांक 19 फरवरी 2024 दिन सोमवार को आपदा के विषय पर सशस्त्र सीमा बल के कैंपस में आरटीसी के जवानों को प्रशिक्षण दिया गया।
एनडीआरएफ के उपमहानिरीक्षक मनोज कुमार शर्मा के मार्गदर्शन में एनडीआरएफ के प्रशिक्षित एवं अनुभवी टीम द्वारा इन प्रशिक्षण कार्यक्रम में एनडीआरएफ की टीम से। निरीक्षक सुधीर कुमार के द्वारा संरचना एवं कार्यशैली व आपदा प्रबंधन के विषय में व्याख्यान दिया गया और उन्होंने बताया कि किसी भी आपदा के समय में स्थानीय समुदाय ही पहला रिस्पांडर होता है। बाढ़ के दौरान समुदाय के लोगों को राहत व बचाव कार्यों के प्रति जागरूक एवं सक्षम बनाने के लिए क्षमता वर्धन योजना के तहत एनडीआरएफ लगातार जागरूकता अभियान कर रहा है बाढ़ के दौरान जीवन सुरक्षा हेतु स्थानीय संसाधनों से निर्मित रक्षक जैकेट व राफ्ट, दूषित जल को घर पर फिल्टर करने का तरीका, मच्छर से बचाव के तरीके सांप काटने पर किए जाने वाले उपचार तथा आग जैसी आपदाओं में घायल हुए व्यक्तियों को अस्पताल से पूर्व चिकित्सा के बारे में बताया गया और साथ ही आपदाओं में प्रयोग किए जाने वाले रेस्क्यू तकनीकी फंसे हुए लोगों को निकालने उन्हें प्राथमिक उपचार देने के बारे में भी बताया और सीपीआर का प्रयोगात्मक प्रशिक्षण दिया गया। इस अवसर पर सशस्त्र सीमा बल से उप महानिरीक्षक असीम हेमचंद्र, निरीक्षक रितु रंजन एवं आरटीसी से 350 जवान मौजूद रहे।