लखनऊ। उत्तर प्रदेश सरकार ने राज्य के 18 पुलिस रेंज में 18 हाई-टेक साइबर लैब स्थापित करने का फैसला किया है। इस फैसले से पुलिस को साइबर संबंधी चुनौतियों से निपटने में मदद मिलेगी। सरकार ने पहले चरण में परियोजना के लिए 40 करोड़ रुपये मंजूर करने पर भी सहमति जताई है।
यूपी साइबर सेल के डीआईजी एन. कोलांची ने कहा कि अब तक लखनऊ में फॉरेंसिक साइंस लैब में केवल एक साइबर लैब काम कर रही थी।
उन्होंने कहा, अब, प्रत्येक पुलिस रेंज में एक साइबर लैब होगी और जब भी साइबर संबंधित अपराधों की सूचना दी जाएगी, हम इसे कम समय सीमा में क्रैक कर सकते हैं, क्योंकि इस समय केवल एक लैब पर दबाव है।
उन्होंने कहा कि साइबर लैब में विशिष्ट उपकरण मौजूद हैं, जो कार्य को तेज करते हैं, उदाहरण के लिए किसी अपराधी का मोबाइल लॉक और एन्क्रिप्टेड पाया जाता है तो इस समस्या से निपटने के लिए ‘पासवर्ड रिकवरी’ और ‘डेटा डिक्रिप्शन टूल’ हैं।
कोलांची ने कहा कि उन्होंने तेलंगाना, गुजरात, दिल्ली और मुंबई जैसे अन्य राज्यों में मौजूदा साइबर प्रयोगशालाओं का अध्ययन किया है और कुछ विदेशी पुलिस मॉडल, जैसे कि न्यूयॉर्क में अध्ययन और विश्लेषण किया गया था और इसके आधार पर राज्य के लिए प्रयोगशालाओं की एक उन्नत संरचना प्रस्तावित की गई थी।
अधिकारी ने कहा कि इसमें फोरेंसिक डिस्क इमेजिंग टूल, मीडिया कंटेंट इंडेक्सिंग टूल, डिजिटल फोरेंसिक साक्ष्य जांच के लिए आवश्यक सॉफ्टवेयर प्रोग्राम जैसे उपकरण होंगे।
उन्होंने आगे कहा कि अब सभी थानों में साइबर हेल्प डेस्क स्थापित किए जा रहे हैं।
कोलांची ने कहा, अब न केवल साइबर अपराधियों की गिरफ्तारी आसान होगी, बल्कि लंबित जांच में तेजी आएगी। उन्होंने कहा कि यूपी पुलिस ने भी एनसीआरबी के ऑनलाइन साइबर प्रशिक्षण मॉड्यूल ‘साइट्रेन’ में अपने कर्मियों को तैनात किया है।
डीजीपी मुख्यालय के एक अन्य वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि उत्तर प्रदेश स्टेट इंस्टीट्यूट ऑफ फॉरेंसिक साइंसेज (यूपीएसआईएफएस) को जल्द शुरू करने पर जोर दिया जा रहा है।
कोलांची ने कहा, यूपीएसआईएफएस की स्थापना का मुख्य उद्देश्य अपराध नियंत्रण और फोरेंसिक विज्ञान के क्षेत्र में बेहतर पुलिसिंग, क्षमता निर्माण और वैज्ञानिक संस्थानों के प्रति जागरूकता और वैज्ञानिक दृष्टिकोण विकसित करना है।