नई दिल्ली। ओलंपियन पहलवान विनेश फोगाट ने पूरे भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआई) प्रकरण में सरकार की भूमिका के विरोध में अपना खेलरत्न और अर्जुन पुरस्कार लौटा दिया।
विनेश ने तीन दिन पहले घोषणा की थी कि वह डब्ल्यूएफआई के पूर्व प्रमुख बृजभूषण शरण सिंह के करीबी सहयोगी संजय सिंह के अध्यक्ष चुने जाने के बाद अपने पुरस्कार लौटा देंगी। शीर्ष पहलवानों ने खेल मंत्रालय से संजय सिंह को चुनाव में भाग लेने की अनुमति नहीं देने के लिए कहा था, क्योंकि इसका मतलब डब्ल्यूएफआई में बृजभूषण का दबदबा जारी रहेगा। बृजभूषण ने खुद ऐसा कहा भी।
शनिवार को विनेश ने पुरस्कार लौटाने के लिए प्रधानमंत्री कार्यालय पहुंचने की कोशिश की, लेकिन सुरक्षा अधिकारियों ने उन्हें वहां पहुंचने से रोक दिया।
आखिरकार, उन्होंने अपना ध्यानचंद खेलरत्न और अर्जुन पुरस्कार पीएमओ कार्यालय के सामने फुटपाथ पर रख दिया, ठीक वैसे ही, जैसे ओलंपिक कांस्य पदक विजेता बजरंग पुनिया ने अपना पद्मश्री पुरस्कार फुटपाथ पर रखकर लौट गए थे।
विनेश अपने पीछे मीडियाकर्मियों की भीड़ के साथ कार्यक्रम स्थल पर पहुंचीं। उन्होंने पुरस्कार लौटाने के अपने कारणों को दोहराया।
एशियाई और राष्ट्रमंडल खेलों की स्वर्ण पदक विजेता विनेश फोगाट ने मंगलवार को घोषणा की थी कि वह डब्ल्यूएफआई के पूर्व अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह को सरकार का समर्थन जारी रहने के विरोध में अपना खेलरत्न और अर्जुन पुरस्कार लौटा देंगी।
इससे पहले विरोध जताते हुए ओलंपिक कांस्य पदक विजेता साक्षी मलिक के कुश्ती छोड़ने का ऐलान करने और बजरंग पुनिया के पद्मश्री पुरस्कार लौटाने के बाद मंगलवार को सोशल मीडिया पर जारी एक बयान में विनेश फोगाट ने सरकार द्वारा दिए गए पुरस्कारों को लौटाने का ऐलान किया था। वह पुरस्कार लौटाने वाली तीसरी हाई-प्रोफाइल पहलवान बन गईं।
विनेश ने प्रधानमंत्री को संबोधित एक पत्र में कहा, “मैं अपना ध्यानचंद खेलरत्न पुरस्कार और अर्जुन पुरस्कार लौटा रही हूं। चीजों को इस स्तर तक पहुंचाने के लिए शक्तिशाली लोगों को धन्यवाद।”