नई दिल्ली। भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआई) के पूर्व अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह ने कहा कि उन्होंने खेल से नाता तोड़ लिया है और खेल मंत्रालय द्वारा नवनिर्वाचित संस्था को निलंबित किए जाने से उनका कोई लेना-देना नहीं है।
खेल मंत्रालय ने संजय सिंह की अगुवाई वाली नई डब्ल्यूएफआई संस्था को राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं के आयोजन की ‘जल्दबाजी’ में की गई घोषणा के कारण निलंबित कर दिया।
मंत्रालय ने एक पत्र जारी कर कहा, “भारतीय कुश्ती महासंघ के नवनिर्वाचित अध्यक्ष संजय कुमार सिंह ने 21.12.2023 को, जिस दिन उन्हें अध्यक्ष चुना गया था, घोषणा की कि कुश्ती के लिए अंडर-15 और अंडर-20 राष्ट्रीय प्रतियोगिताएं नंदिनी नगर, गोंडा (यूपी) में इस साल के अंत से पहले होंगी।
पत्र में कहा गया है, “यह घोषणा जल्दबाजी में की गई है, उन पहलवानों को पर्याप्त सूचना दिए बिना, जिन्हें उस राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में भाग लेना है और डब्ल्यूएफआई के संविधान के प्रावधानों का पालन नहीं किया गया है।”
इस पर प्रतिक्रिया देते हुए पूर्व डब्ल्यूएफआई प्रमुख ने कहा कि वह कोई विवाद खड़ा नहीं करना चाहते। भारतीय कुश्ती जगत में ताजा घटनाक्रम से उनका कोई लेना-देना नहीं है।
बृजभूषण ने रविवार को नई दिल्ली में एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, “मैंने पहलवानों के लिए 12 साल काम किया है। समय बताएगा कि मैंने न्याय किया है या नहीं। मैं कुश्ती से पूरी तरह सेवानिवृत्त हो चुका हूं। मैंने कुश्ती से नाता तोड़ लिया है। अब फैसले और सरकार से बातचीत फेडरेशन के चुने हुए लोग करेंगे।”
प्रस्तावित खेलों के लिए स्थल की पसंद पर साक्षी मलिक के सवाल उठाने पर भूषण ने कहा कि नंदिनी नगर, गोंडा को इसलिए चुना गया, क्योंकि कोई अन्य महासंघ इतने कम समय में टूर्नामेंट आयोजित करने के लिए सहमत नहीं था।
उन्होंने कहा, “कमेटी को जल्दबाजी में फैसला लेना पड़ा। अंडर 15 और 20 के तहत… 31 दिसंबर को पुराना सत्र खत्म हो जाएगा… उसके बाद नया साल शुरू होगा। यही कारण है कि सभी राज्य संघों ने खेल की प्रक्रिया शुरू करने का फैसला किया।”
इस साल की शुरुआत में शीर्ष भारतीय पहलवान बजरंग पुनिया, साक्षी मलिक और विनेश फोगट के साथ-साथ अन्य पहलवानों ने बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ जंतर मंतर पर विरोध प्रदर्शन करते हुए आरोप लगाया था कि उन्होंने कई युवा जूनियर पहलवानों को परेशान किया था।