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डीयू के 12 कॉलेज बने अंबेडकर यूनिवर्सिटी का हिस्सा : दिल्ली सरकार

नई दिल्ली। दिल्ली विश्वविद्यालय के 12 कॉलेज ऐसे हैं, जिनका वित्त पोषण दिल्ली सरकार द्वारा किया जाता है। इन कॉलेजों में लगातार वित्तीय अनियमितताएं सामने आती रही हैं। अब इनको दूर करने के लिए दिल्ली की शिक्षा मंत्री अतिशी ने केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान को एक पत्र लिखा है।

शिक्षा मंत्री आतिशी ने केंद्र सरकार को सुझाव दिया है कि केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय दिल्ली विश्वविद्यालय के इन 12 कॉलेजों से मान्यता वापस लेने पर विचार करे। जिसके बाद इन कॉलेजों को दिल्ली सरकार के ‘अंबेडकर विश्वविद्यालय’ या दिल्ली स्किल एंड एंत्रप्रेन्योरशिप यूनिवर्सिटी के कैंपस के रूप में नामित कर देना चाहिए।

पत्र में आतिशी ने दिल्ली विश्वविद्यालय से मान्यता प्राप्त और दिल्ली सरकार द्वारा वित्त पोषित 12 कॉलेजों के कामकाज पर गंभीर चिंता जताई। आतिशी ने पत्र में इन कॉलेजों के कामकाज में कई अनियमितताओं और खामियों को चिन्हित किया, जिसकी वजह से वित्त प्रबंधन में ख़ामी उत्पन्न हो रही है और टैक्स पेयर्स के सैकड़ों करोड़ों रुपये की बर्बादी हो रही है।

उच्च शिक्षा मंत्री ने अपने पत्र में इन कॉलेजों में चल रही अनियमितताओं को बताते हुए साझा किया कि इन 12 कॉलेजों ने बिना अप्रूवल लिए कई पद सृजित किए और टीचिंग-नॉन टीचिंग कर्मचारियों को नियुक्त किए। कॉलेजों द्वारा वेतन के रूप में कई करोड़ रुपये ऐसे व्यक्तियों को दिया जा रहा है, जिन्हें कभी भी स्थापित प्रक्रियाओं के माध्यम से नियुक्त नहीं किया गया। वेतन और अन्य मदों में दिए जाने वाले फंड का दुरुपयोग किया जा रहा है।

आतिशी ने कहा कि इन कॉलेज में साफ़-सफ़ाई और सिक्योरिटी सेवाओं, कैंटीन के आवंटन और अन्य कंट्रक्चुअल सेवाओं के प्रति मनमानी और अनियमित भुगतान किए गए हैं। पर्याप्त धनराशि होने के बावजूद, कई कॉलेजों ने कर्मचारियों को समय पर वेतन और बकाया भुगतान को प्राथमिकता नहीं दी।

दिल्ली की उच्च शिक्षा मंत्री ने कहा, “ये मुद्दे इन संस्थानों के भीतर हो रही बड़ी अनियमितताओं को दर्शाते है।” उन्होंने कहा कि इन कॉलेजों को दिल्ली विश्वविद्यालय से मान्यता मिली है और दिल्ली सरकार द्वारा वित्त पोषित हैं। ऐसे में इन कॉलेजों में विश्वविद्यालय और एनसीटी दिल्ली सरकार के उच्च शिक्षा निदेशालय दोनों की ओर से पर्याप्त निगरानी का अभाव है, जिससे इन कॉलेजों की दोनों के प्रति कोई जबाबदेही नहीं है।

उन्होंने कहा कि फिर इन कॉलेजों को पूरा फंड दिल्ली सरकार द्वारा दिया जाएगा। साथ ही इन कॉलेजों को राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के तहत स्वायत्त डिग्री देने वाले संस्थानों में विकसित होने का अवसर मिल सकेगा।

एक अन्य सुझाव देते हुए शिक्षा मंत्री ने कहा कि यदि कॉलेजों को दिल्ली विश्वविद्यालय से एफ़िलीटेड रहना है, तो भारत सरकार को इनके पूरे फ़ंडिंग की सीधी जिम्मेदारी लेनी चाहिए। यह वित्तीय सहायता विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) या प्रस्तावित उच्च शिक्षा अनुदान परिषद (एचईजीसी) के माध्यम से प्रदान की जा सकती है।

शिक्षा मंत्री ने कहा कि इन कॉलेजों में पढ़ने वाले छात्रों की शिक्षा अभी दिल्ली सरकार की प्राथमिकता है, ऐसे में पहले विकल्प के साथ दिल्ली सरकार इन कॉलेजों की पूरी जिम्मेदारी लेना चाहेगी।

अपने पत्र के अंत में आतिशी ने कहा, “उपरोक्त 12 कॉलेजों की समस्याओं के समयबद्ध समाधान की आवश्यकता है और चालू वित्तीय वर्ष के शेष महीनों के भीतर ही इस संबंध में कार्रवाई की जानी चाहिए। ऐसे में इन 12 कॉलेजों के प्रभावी प्रशासन के लिए एक स्थायी समाधान खोजने के लिए भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय और दिल्ली सरकार को साथ मिलकर काम करने की ज़रूरत है।”

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