दिल्ली में गुटखा-तंबाकू पर प्रतिबंध एक साल के लिए और बढ़ा, एलजी ने जारी किया आदेश

नई दिल्ली। दिल्ली के उपराज्यपाल वी.के. सक्सेना ने राष्ट्रीय राजधानी में तंबाकू से जुड़े उत्पादों के निर्माण और बिक्री पर प्रतिबंध को एक साल की अवधि के लिए बढ़ा दिया है। एक अधिकारी ने यह जानकारी दी।

एक अधिकारी ने कहा कि उपराज्यपाल ने संविधान के अनुच्छेद 239एए(4) के तहत प्रदान की गई अपनी शक्तियों का उपयोग करते हुए सार्वजनिक स्वास्थ्य के मुद्दे को अत्यधिक महत्व देते हुए और राष्ट्रीय राजधानी में ओरल कैंसर के मामलों की बढ़ती संख्या के मद्देनजर तंबाकू उत्पादों (गुटखा/पान मसाला) पर प्रतिबंध लगाने के ये आदेश जारी किए हैं।

उपराज्यपाल ने यह भी निर्दिष्ट किया कि यह अब बच्चों और युवाओं को प्रभावित कर रहा है और भविष्य की पीढ़ी के लिए इस खतरे को रोका जाना चाहिए। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि अधिसूचना को सख्ती से लागू करने की जरूरत है और शहर में प्रवर्तन के प्रति कोई भी उदासीन रवैया बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने खाद्य सुरक्षा और मानक (बिक्री पर निषेध और प्रतिबंध) विनियम, 2011 के विनियमन 2.3.4. के तहत किसी भी खाद्य उत्पादों में सामग्री के रूप में उपयोग किए जाने वाले तंबाकू और निकोटीन युक्त उत्पादों की बिक्री को प्रतिबंधित और वर्जित कर दिया है। 

दिल्ली सरकार का खाद्य सुरक्षा विभाग जल्द ही उपराज्यपाल की मंजूरी के बाद प्रतिबंध को बढ़ाने की अधिसूचना जारी करेगा। इस कदम से तंबाकू के निर्माण, स्टोरेज, वितरण-बिक्री और गुटखा, पान मसाला, फ्लेवर युक्त तंबाकू का इस्तेमाल करने पर प्रतिबंध लग जाएगा।

इन प्रतिबंधित उत्पादों में पैक या अनपैक्ड तंबाकू उत्पाद शामिल हैं और यह खाद्य सुरक्षा और मानक अधिनियम, 2006 की धारा 30 की उपधारा (2) के खंड (ए) के तहत अगले एक वर्ष तक लागू रहेंगे। 

इस साल अप्रैल में दिल्ली हाईकोर्ट ने भी दिल्ली में गुटखा, पान मसाला, सुगंधित तंबाकू और इसी तरह के उत्पादों के निर्माण, स्टोरेज और बिक्री पर खाद्य सुरक्षा आयुक्त द्वारा लगाए गए प्रतिबंध की पुष्टि की थी।

न्यायालय ने प्रतिबंध को रद्द करने के उच्च न्यायालय के एकल न्यायाधीश के सितंबर 2022 के फैसले को भी रद्द कर दिया और इसके खिलाफ केंद्र और दिल्ली सरकार द्वारा दायर अपील को स्वीकार कर लिया और और 2015 से 2021 तक पहले जारी निषेध अधिसूचनाओं के खिलाफ तंबाकू व्यवसाय में संस्थाओं द्वारा उठाई गई आपत्तियों को खारिज कर दिया।

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