डीआईजी जेल ने पहली खेप को जर्मनी के लिए किया रवाना
महाकुंभ में भी जेल में बनी फुटबॉल अपनी पहचान बना चुकी है
मेरठ। चौधरी चरण जिला कारागार में महिला बंदियों द्वारा हाथ से बनाई गई फुटबॉल अब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बना रही हैं। इस बार, ये विशेष फुटबॉल जर्मनी भेजी गई हैं, जो जेल सुधार और पुनर्वास के क्षेत्र में एक ऐतिहासिक उपलब्धि है।
इन फुटबॉलों को डीआईजी प्रिज़न सुभाष चंद्र शाक्य (आईपीएस) द्वारा जिला जेल से औपचारिक रूप से डिस्पैच किया गया। इस अवसर पर उन्होंने इस पहल की सराहना करते हुए कहा कि, “यह केवल एक खेल सामग्री नहीं, बल्कि पुनर्वास और आत्मनिर्भरता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इन महिला कैदियों के हुनर को वैश्विक मंच पर पहचान मिलना बेहद गर्व की बात है।”
यह पहल वीरीना फाउंडेशन के ‘सेकंड चांस’ कार्यक्रम के तहत संचालित हो रही है, जो महिला कैदियों को कौशल विकास और आत्मनिर्भरता की दिशा में प्रशिक्षित कर रहा है। इस कार्यक्रम को मेरठ जिला जेल के वरिष्ठ अधीक्षक वीरेश राज शर्मा के नेतृत्व और मार्गदर्शन में चलाया जा रहा है, जिनका उद्देश्य कैदियों को समाज की मुख्यधारा से जोड़ना है।शुरुआत वीरीना फाउंडेशन के संस्थापक और निदेशक धीरेंद्र सिंह द्वारा की गई थी, जिनका मानना है कि “हर व्यक्ति को जीवन में दूसरा मौका मिलना चाहिए।” उनकी अगुवाई में यह कार्यक्रम अब एक सफल मॉडल बन चुका है, जिससे महिला कैदियों को न केवल रोजगार के अवसर मिल रहे हैं, बल्कि समाज में उनके पुनर्वास की संभावनाएं भी बढ़ रही हैं।मेरठ जेल में बनी फुटबॉल इससे पहले ऑस्ट्रेलिया, महाकुंभ और कई प्रतिष्ठित आयोजनों का हिस्सा बन चुकी हैं। अब जर्मनी में इनकी पहचान बनने से भारत की इस पहल को अंतरराष्ट्रीय सम्मान मिल रहा है। यह पहल न केवल कैदियों के जीवन में बदलाव ला रही है, बल्कि मेरठ को फुटबॉल निर्माण के वैश्विक नक्शे पर मजबूती से स्थापित कर रही है।