वेंक्टेश्वरा विवि में काव्य संगोष्ठी एवं काव्यांजलि साहित्य सम्मान समारोह का आयोजन

वेंक्टेश्वरा विवि में काव्य संगोष्ठी एवं काव्यांजलि साहित्य सम्मान समारोह का आयोजन

-विदेशों में रहकर भी अपनी संस्कृति का गौरव बढ़ाने वालों को सम्मानित करते हुए हम स्वयं गौरवांन्वित है- डॉ. सुधीर गिरि

-हिन्दी साहित्य एवं काव्य माँ भारती के मस्तक का भाल, आइये मिलकर करें पूरे विश्व में हिन्दी को गुंजायमान- डा. राजीव त्यागी

मेरठ। राष्ट्रीय राजमार्ग बाईपास स्थित श्री वेंक्टेश्वरा विश्वविद्यालय/संस्थान एवं वी.जी.आई. के संयुक्त तत्वाधान में विख्यात कवि कुँवर बेचैन की स्मृति में शानदार “काव्य संगौष्ठी ‘काव्यांजलि’ एवं साहित्य सम्मान समारोह” का आयोजन किया गया। आस्ट्रेलिया से आये कवि युगल प्रगीत कुँवर एवं भावना कुँवर के साथ देश के विभिन्न हिस्सों से आये कवियों एवं साहित्यकारो ने कवि कुँवर बेचैन की स्मृति में एक से एक बढ़कर शानदार प्रस्तुति देकर सभी से हिन्दी को अपने कामकाज, व्यवहार एवं व्यापार की भाषा बनाने की पुरजोर वकालत की । इस अवसर पर संस्थापक अध्यक्ष सुधीर गिरि ने प्रतिकुलाधिपति डॉ. राजीव त्यागी के साथ मिलकर कवियों एंव साहित्यकारो को शॉल एवं स्मृति चिन्ह भैंटकर सम्मानित किया । रविन्द्रनाथ टैगोर सभागार में “काव्य संगौष्ठी ‘काव्यांजलि’ एवं साहित्य सम्मान समारोह” का शुभारम्भ समूह अध्यक्ष सुधीर गिरि, प्रतिकुलाधिपति डॉ. राजीव त्यागी, कुलपति प्रो. (डा.) कृष्ण कान्त दवे, देश की अन्तर्राष्ट्रीय कवयित्री डॉ. मधु चतुर्वेदी मुख्य अतिथि कुँवर बेचैन के सुपुत्र कवि प्रगीत कुँवर एवं पुत्रवधू डा. भावना कुँवर आदि ने सरस्वती माँ की प्रतिमा के सन्मुख दीप प्रज्जवलित करके किया ।

कवि सम्मेलन / संगोष्ठी का शुभारम्भ पर काव्य पाठ करते हुए वरिष्ठ/विख्यात कवि आस्ट्रेलिया से पधारे प्रगीत कुँवर ने कहा “जितना होगा दूर किनारा अच्छा है, उतना होगा साथ तुम्हारा अच्छा है” आस्ट्रेलिया से आयी कुँवर बेचैन की पुत्रवधू डा. भावना कुँवर ने पढ़ा “कुछ असर ऐसा हुआ उनसे हुई बातों के बाद, बन गये अपने वो हमदम दो मुलाकातों के बाद” कार्यक्रम अध्यक्ष एवं विख्यात कवियित्री डा. मधु चतुर्वेदी ने कहा- “हमने संभाला इश्क को ईमान की तरह, फिर उम्र भर झेला उसे नुकसान की तरह, चाहत है मज़बूरी नही मेरी तू ये ध्यान रख, मत यू ही मेरे साथ चल अहसान की तरह” विख्यात कवि डा. राहुल अवस्थी ने पढ़ा- “जितनों से मेल बनती है, झोली उतनी ही भरती है, भाषा व्यवहारों की खराद पर चढ़कर और निखरती है” अमरोहा के स्थानीय शायर नाज़िम अमरोही’ ने पढ़ा- “बात करने से है ना मुस्कुराने से है, लोग दुश्मन तेरे आने-जाने से है, गोद ले ले उन्हें साहिबे हैसियत, वो जो मजबूर पढ़ने-पढ़ाने से है” सुनाकर सभी की आँखे नाम कर दी, गाज़ियाबाद से आये मनोज कामदेव ने कहा– “देखी है मैंने कुर्सिया कद से ऊँची आज, जिस पर बौने बैठकर, चला रहे है राज़ दिल्ली से पधारी डा. शोभा सचान ने कहा कि- “द्रौपदी हूँ इस धरा की, कृष्ण पाना चाहती हूँ, रक्त से दुर्योधनों के मैं नहाना चाहती हूँ” इसके बाद डा. अरविन्द ‘पथिक’ ने कहा कि शहरों में छत ललचाती है, गांवों में इठलाती है, जीवन भर फांकें खाकर भी छत ही नही मिल पाती है” का काव्य वर्णन किया |

इस अवसर पर सलाहकार आर.एस. शर्मा, कुलसचिव डॉ. पीयूष पाण्डेय, डॉ. राजेश सिंह, डी.पी. सिंह, डॉ. लक्ष्मण सिंह रावत, डॉ. राजेश सिंह, डॉ. एस.एन. साहू, डॉ. राजवर्द्धन, डॉ. रमेश चौधरी, डॉ. राहुल, डॉ. ओमप्रकाश, डॉ. अश्विन सक्सेना, डॉ. रामकुमार, डॉ. मोहित शर्मा, डॉ. योगेश्वर शर्मा, डॉ. अनिल जायसवाल, डा. स्नेहलता गोस्वामी, मारूफ चौधरी, अरूण गोस्वामी, डॉ. स्नेहलता गोस्वामी, डा. श्री राम गुप्ता, मिस स्मिता चंद्रा, डॉ. विकास कुमार पाण्डेय, डॉ. आरती गुप्ता, डॉ. अंजलि भारद्वाज, डॉ. पूर्वा बाला, मिस तनु श्री व्यास, मिस अंजलि ठाकुर, मिस पूजा गौर, मिस दीक्षा मेरठ परिसर से डॉ. प्रताप सिंह, मीडिया प्रभारी विश्वास राणा आदि लोग उपस्थित रहे । कार्यक्रम का शानदार संचालन नर्सिंग विभाग से स्मिता ने किया |

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