मेरठ। इस लोकसभा चुनाव में टिकट बदलने को लेकर समाजवादी पार्टी में सिर फुटव्वल हो रही है। कई सीटों पर टिकटों की अदला-बदली के बाद मेरठ लोकसभा सीट पर भी सपा ने भानुप्रताप सिंह का टिकट काट दिया और सरधना विधायक अतुल प्रधान को उम्मीदवार घोषित कर दिया। इससे मेरठ सीट पर चुनावी मुकाबला रोचक होने जा रहा है।
समाजवादी पार्टी ने मेरठ समेत कई सीटों पर 15 मार्च को ही अपने उम्मीदवारों की घोषणा कर दी थी। मेरठ-हापुड़ लोकसभा सीट से सपा ने सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता भानुप्रताप सिंह को उम्मीदवार घोषित किया था। मूलरूप से बुलंदशहर के रहने वाले भानुप्रताप सिंह गाजियाबाद के साहिबाबाद क्षेत्र में राजेंद्र नगर में रहते हैं। दलित वर्ग से आने वाले भानुप्रताप को उम्मीदवार बनाते ही सपा में संघर्ष छिड़ गया और टिकट के सभी दावेदारों ने पार्टी आलाकमान के पास डेरा डाल दिया।
भानुप्रताप को बाहरी उम्मीदवार होने, अपनी खुद की राजनीतिक पार्टी चलाने, मेरठ में कोई सियासी सरोकार नहीं होने की बात कहकर विरोध किया। मेरठ से टिकट चाहने वालों में शहर विधायक रफीक अंसारी, सरधना विधायक अतुल प्रधान, हस्तिनापुर के पूर्व विधायक योगेश वर्मा, सपा जिलाध्यक्ष विपिन चौधरी थे। टिकट घोषित होने के बाद भानुप्रताप केवल एक बार मेरठ आए। नामांकन प्रक्रिया शुरू होने के बाद उनके नाम से नामांकन फार्म भी लिया गया था। सोमवार को शहर विधायक रफीक अंसारी ने भी नामांकन फार्म खरीदवाया था। इसके बाद देर रात सपा ने भानुप्रताप सिंह का टिकट काटकर सरधना विधायक अतुल प्रधान को उम्मीदवार घोषित कर दिया।
संगीत सोम को हराकर विधायक बने थे अतुल
अतुल प्रधान चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय में छात्र राजनीति करते थे और सपा छात्र सभा के प्रदेश अध्यक्ष भी रहे। अतुल प्रधान ने सरधना सीट से चर्चित भाजपा उम्मीदवार संगीत सोम को हराकर चुनाव जीता था। इससे पहले अतुल प्रधान सरधना से दो बार लगातार चुनाव हार गए थे। सपा मुखिया अखिलेश यादव से करीबी होने के कारण निकाय चुनाव में भी अतुल की पत्नी सीमा प्रधान को महापौर पद पर पार्टी ने चुनाव लड़ाया था। इससे भी सपा के वरिष्ठ नेता नाराज हो गए थे और मुस्लिम वोटरों ने असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम के उम्मीदवार को खुलकर वोट किया था। भाजपा के हरिकांत अहलूवालिया दो लाख 35 हजार 953 वोट लेकर महापौर चुने गए। दूसरे स्थान पर एआईएमआईएम उम्मीदवार अनस को एक लाख 28 हजार 547 वोट मिले और सपा उम्मीदवार सीमा प्रधान केवल एक लाख 15 हजार 964 वोट लेकर तीसरे नंबर पर रही।
अतुल प्रधान को उम्मीदवार घोषित किए जाने से सपा के वरिष्ठ नेताओं को फिर से झटका लगा है। पूर्व विधायक योगेश वर्मा ने तो इसे दलितों के साथ अन्याय बताया है। उन्होंने कहा कि दलित वर्ग के भानुप्रताप का टिकट काटकर दलित उम्मीदवार को ही टिकट देना था। जबकि शहर विधायक रफीक अंसारी ने सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव के निर्णय को सिर आंखों पर रखने की बात कही है।