लखनऊ। विनायक दामोदर सावरकर के पौत्र रंजीत सावरकर ने कहा कि संगीत में नौ रस होते हैं, दसवां रस देशभक्ति है, यह सावरकर ने बताया है। उन्होंने हाल ही में आई अपनी पुस्तक ‘मेक ए श्योर गांधी इस डेड’ का उल्लेख करते हुए कहा कि संभवतः गांधी जी की हत्या में नाथूराम मोहरा रहे हों, क्योंकि उस समय के फ़ोरेंसिक साक्ष्य यह प्रदर्शित करते हैं कि उनकी हत्या में चली गोली गोडसे के हाथ से नहीं, बल्कि किसी और का हाथ हो सकता है। इसके प्रामाणिक साक्ष्य उपलब्ध हैं, इसे देखा जाना चाहिए।
रंजीत सावरकर राजधानी में आयोजित एक कार्यक्रम में बोल रहे थे। इस दौरान उन्होंने कहा कि हिंदू समाज में छूआछूत के उन्मूलन पर गंभीरता से आंदोलन रत्नागिरि जेल में बंद रहने के दौरान ही सावरकर द्वारा ही शुरू किया गया। उन्होंने समाज की एकता और अखंडता पर ज़ोर दिया था। उन्होंने कहा था कि भारत में रहने वाले या समान सांस्कृतिक पृष्ठभूमि वाले सभी हिंदू हैं।
उन्होंने कहा कि जब वे लंदन में थे तो उन्हें इस बात की चिंता रहती थी कि दूसरे मेरे भाई भारत के लिए लड़ाई कर रहे हैं। वे विवेकानंद से प्रेरित थे, वे संन्यास लेने वाले थे, लेकिन उन्होंने देश के लिए लड़ाई लड़ने का संकल्प लिया। उन्होंने कहा कि किसी देश की आजादी की लड़ाई बिना युद्ध के संभव नहीं है, इसलिए उन्होंने क्रांति का रास्ता चुना।