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22 जनवरी के बाद मैं सपरिवार अयोध्या जाना चाहता हूं : अरविंद केजरीवाल

नई दिल्ली। अयोध्या में बनाए जा रहे भव्य राम मंदिर में 22 जनवरी को होने जा रही भगवान राम की प्राण प्रतिष्ठा को लेकर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का कहना है कि वह अयोध्या जाना चाहते हैं। वह 22 जनवरी के बाद किसी दिन अपने परिवार के साथ अयोध्या की यात्रा कर सकते हैं।

दिल्ली में कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री केजरीवाल ने कहा, “मैं सपरिवार अयोध्या जाना चाहता हूं।”

उन्‍होंने कहा, “22 जनवरी को श्रीराम की प्राण प्रतिष्ठा होने के बाद दिल्ली सरकार ‘मुख्यमंत्री तीर्थयात्रा योजना’ के तहत ज्यादा से ज्यादा लोगों को दिल्ली से ट्रेन में अयोध्या भेजने का प्रयास करेगी। लोगों में अयोध्या जाकर रामलला के दर्शन करने को लेकर बहुत उत्साह है। इसलिए हमारी कोशिश रहेगी कि अयोध्या के लिए ज्यादा ट्रेनें भेजी जाएं।”द्वारकाधीश के लिए तीर्थयात्रियों को रवाना करते समय सीएम अरविंद केजरीवाल ने यह जानकारी दी।

दिल्ली सरकार का कहना है कि उनकी तीर्थयात्रा योजना के तहत यह 87वीं ट्रेन गुजरात की द्वारकाधीश पीठ जा रही है। इससे पहले 86 ट्रेनों से करीब 82 हजार लोग विभिन्न तीर्थस्थलों की यात्रा कर चुके हैं।

सीएम केजरीवाल ने कहा, “लगभग हर हफ्ते दिल्ली से किसी न किसी तीर्थस्थल पर लगभग एक हजार तीर्थयात्रियों को लेकर ट्रेन जाती है। रामेश्‍वरम्, पुरी, शिरडी, द्वारकाधीश समेत 12-13 तीर्थ स्थलों के लिए ट्रेन रवाना की जाती है। मेरी पूरी कोशिश रहती है कि अगर मैं दिल्ली में हूं और समय निकाल पाता हूं तो मैं सभी तीर्थयात्रियों को उनकी सफल यात्रा की शुभकामना देने के लिए मिलने जरूर आता हूं। आज भी मैं सभी तीर्थयात्रियों से मिलने आया हूं।”

द्वारकाधीश की यह यात्रा सात दिन की होगी। बुधवार की शाम को करीब 7 बजे दिल्ली से तीर्थयात्रियों को लेकर ट्रेन रवाना हुई। गुरुवार का पूरा दिन ट्रेन में गुजरेगा और शुक्रवार को सुबह 9 बजे ट्रेन द्वारकाधीश पहुंचेगी।

सीएम केजरीवाल ने कहा, “तीर्थयात्रा पर हर बार 70-80 फीसद माताएं जाती हैं। इसका एक कारण यह है कि पुरुष तो काम के सिलसिले में कहीं न कहीं घूम आते हैं, लेकिन, महिलाओं को समय नहीं मिलता है और उनको कोई लेकर जाने वाला भी नहीं मिलता है। ज्यादातर महिलाएं अपने पति और बच्चों पर निर्भर होती हैं। ऐसे में दिल्ली सरकार की मुख्यमंत्री तीर्थयात्रा योजना ने महिलाओं को एक मौका दिया है। जब हम देखते हैं कि तीर्थयात्रा में 70-80 फीसदी महिलाएं जा रही हैं तो हमें यह देखकर बहुत अच्छा लगता है कि हम अपनी माताओं को जगह-जगह से भगवान के दर्शन कराकर ला रहे हैं।”

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