मुस्लिम राष्ट्रीय मंच ने राम मंदिर प्राण-प्रतिष्ठा समारोह को लेकर की खास तैयारी, इंद्रेश ने की इबादत करने की अपील

नई दिल्ली। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के संस्थापक, मुख्य सरंक्षक एवं संघ के वरिष्ठ नेता इंद्रेश कुमार ने मुस्लिम समुदाय से अयोध्या में बन रहे भगवान राम के मंदिर के प्राण-प्रतिष्ठा समारोह के दिन को धूमधाम से मनाने की अपील करते हुए कहा है कि 22 जनवरी 2024 को सुबह 11 बजे से दिन के 1 बजे तक जब अयोध्या में रामलला स्थापित किए जाएंगे, उस दौरान दरगाहों, मदरसों, मकतबों, मस्जिदों में अपने-अपने धर्मों के हिसाब से देश की उन्नति, प्रगति, सौहार्द के लिए इबादत करें।

उन्होंने शाम को इन स्थानों पर चिराग रोशन किए जाने की अपील भी की है, क्योंकि उनके मुताबिक मुस्लिमों का भी मानना है कि राम कण-कण में हैं, राम सब में हैं। रामलला की स्थापना के अवसर पर मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के कार्यकर्ता 6 दिन से लेकर 15 दिनों तक पदयात्रा कर के अयोध्या पहुंचेंगे।

राजधानी दिल्ली में आकाशवाणी के रंग भवन ऑडिटोरियम में रविवार को “राम मंदिर, राष्ट्र मंदिर – एक साझी विरासत ( कुछ अनसुनी बातें )” पुस्तक के विमोचन कार्यक्रम में इंद्रेश कुमार ने कहा कि जो बेजुबान की भी जुबान जानता है, वही खुदा है, वही परमेश्‍वर है, वही गॉड है, वही राम है।

उन्होंने कहा कि यहां देशभर से आई जनता ने साबित कर दिया है कि हम एक थे, एक हैं और एक ही रहेंगे, इसीलिए सरसंघचालक मोहन भागवत ने कहा था कि हम सब का डीएनए एक है।

इंद्रेश कुमार ने कहा कि जहां विवाद है वो सभी आगे आने वाले दिनों में संवाद से हल किए जा सकते हैं। इसके लिए सभी धर्मों को आगे आकर विचार करना होगा। इस पुस्तक को गीता सिंह और आरिफ खान भारती ने मिलकर लिखा है। इसकी प्रस्तावना आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने लिखी है।

पुस्तक विमोचन के अवसर पर इंद्रेश कुमार के साथ-साथ केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान, विश्‍व हिंदू परिषद के अंतर्राष्ट्रीय कार्याध्यक्ष आलोक कुमार, श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र (न्यास)- अयोध्या के कोषाध्यक्ष गोविंद देव गिरि समेत कई बुद्धिजीवी मौजूद रहे। इस मौके पर देश भर से आए मुस्लिम समुदाय ने भी शिरकत की।

केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने किताब के विमोचन के बाद कहा कि इंसान एक महत्वाकांक्षी प्राणी है जो अपनी ख्वाहिशों को पूरा करने के लिए अनैतिक हो जाता है, क्योंकि अगर ख्वाहिशों को आदर्श करने वाला कोई न हो अर्थात मर्यादित करने वाला कोई न हो तो महत्वाकांक्षाएं बेलगाम हो जाती हैं और इसीलिए मर्यादा पुरुषोत्तम राम की जरूरत हर तरफ है।

विश्‍व हिंदू परिषद के अंतर्राष्ट्रीय कार्याध्यक्ष आलोक कुमार ने कहा कि इस पुस्तक की बहुत आवश्यकता थी, क्योंकि जो किताब पहले राम जन्मभूमि के संबंध में आई, उससे लगता था कि दो समुदायों के बीच काफी वैमनस्य है। ऐसा लगता था, जैसे मुस्लिमों के खिलाफ कोई साजिश हुई है। इसलिए इस किताब का बहुत अधिक महत्व है जो बताता है कि ऐसा कुछ भी नहीं है, केवल भ्रम की स्थिति पूर्व में फैलाई गई। मुसलमान और ईसाई के संबंध में भी सवाल करती है कि क्या राम जन्मभूमि का आंदोलन सिर्फ मुसलमानों के खिलाफ था?

उन्होंने महमूद गजनी के हवाले से बताया कि उसने भारत को लूटा, बाबर और औरंगजेब जैसे लोगों को महत्व देना क्या साम्राज्यवादी ताकतों की नुमाइश नहीं थी? क्या हिंदुओं के मंदिर तोड़कर मस्जिद बनाया जाना जायज था? और क्या ऐसे पूजा स्थल पूज्यनीय हो सकते हैं?

आलोक कुमार ने देश की एकता समरसता के हवाले से कहा कि सनातन काल और हिंदू संस्कृति के समय से ही संविधान की धर्म निरपेक्षता बनी हुई है। उन्होंने कहा कि अनेकों ऐसे मुद्दे हैं, जिन पर चर्चा कर के एक निर्णय पर पहुंचकर भारत को एक भारत, श्रेष्ठ भारत बनाने के लिए हम सब एकजुट होकर आगे बढ़ेंगे।

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