नई दिल्ली। दिल्ली की एक अदालत ने संसद सुरक्षा उल्लंघन मामले में गिरफ्तार किए गए चार आरोपियों को गुरुवार को सात दिन की पुलिस हिरासत में भेज दिया।
पुलिस द्वारा बुधवार को गिरफ्तार किए जाने के बाद आरोपी व्यक्तियों – सागर शर्मा, मनोरंजन डी., नीलम आजाद और अमोल शिंदे को पटियाला हाउस कोर्ट के अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश (एएसजे) हरदीप कौर के समक्ष पेश किया गया।
दिल्ली पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के तहत एफआईआर दर्ज की है और सुरक्षा चूक मामले की भी जांच कर रही है।
अदालती कार्यवाही के दौरान अभियोजन पक्ष ने गिरफ्तार किए गए व्यक्तियों को आतंकवादी करार दिया और दावा किया कि उन्होंने डर पैदा करने के इरादे से संसद पर एक सुनियोजित हमला किया था।
पुलिस ने अदालत को सूचित किया कि उन्होंने आरोपियों के खिलाफ आरोपों में यूएपीए अधिनियम की धारा 16 (आतंकवाद) और 18 (आतंकवाद की साजिश) को शामिल किया है।
पुलिस ने कहा कि व्यक्तियों ने अपने अधिकारों का उल्लंघन करते हुए गैलरी से सांसदों के बैठने की जगह में छलांग लगा दी, जो कि अतिक्रमण है।
इसके अलावा, पुलिस ने दावा किया कि आरोपियों ने अपने जूतों में एक कनस्तर छुपाया था और उनका वास्तविक मकसद जानने और इसमें शामिल किसी अन्य व्यक्ति की पहचान करने के लिए उनकी हिरासत की जरूरत पर जोर दिया।
पुलिस ने अदालत को बताया, “लखनऊ में बने विशेष जूते की जांच होनी चाहिए। जांच के लिए उन्हें मुंबई, मैसूर और लखनऊ ले जाने की जरूरत है।”
अदालत ने आरोपी व्यक्तियों के लिए कानूनी सहायता वकील नियुक्त किया, जब उन्होंने कहा कि उनके पास अपने वकील नहीं हैं। जवाब में बचाव पक्ष के वकील ने पुलिस के आवेदन का विरोध करते हुए सुझाव दिया कि जांच के लिए कुछ दिन पर्याप्त होंगे।
पुलिस ने आगे कहा कि आरोपियों के पास ऐसे पर्चे थे, जिनमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लापता व्यक्ति घोषित किया गया था और नीचे लिखा था कि जो व्यक्ति उन्हें ढूंढेगा, उसे स्विस बैंक से पैसे दिए जाएंगे।
पुलिस ने कहा, “आरोपी व्यक्तियों ने पीएम को एक घोषित अपराधी की तरह चित्रित किया।”
यह घटना 2001 के संसद पर आतंकवादी हमले की 22वीं बरसी पर एक बड़ी सुरक्षा चूक के कारण हुई। संसद परिसर में घुसे छह लोगों में से दाे ने बालकनी में बने दर्शक दीर्घा से लोकसभा कक्ष में छलांग लगा दी और जूते में छिपाकर लाए कनस्तर को दबाकर पीला धुआं छोड़ा, जो समूचे सदन में फैल गया। उन्होंने नारे भी लगाए, तभी दो सांसदों ने उन्हें दबाेेच लिया और पुलिस के हवाले कर दिया।
गृह मंत्रालय ने भी सुरक्षा में चूक की जांच का आदेश दिया है। जांच सुरक्षा एजेंसियों और विशेषज्ञों की मदद से डीजी-सीआरपीएफ अनीश दयाल सिंह के नेतृत्व में की जा रही है।