मेडिकल कॉलेज कार्यालय के बाहर धरने पर बैठे चिकित्सक , हड़ताल की दी धमकी
मेरठ। लाला लाजपत राय मेडिकल कॉलेज की इमरजेंसी में तीमारदारों से मारपीट मामले में अब जूनियर रेजीडेंट डॉक्टर भी विरोध पर उतर आए हैं। जूनियर डॉक्टरों के साथ में इंडियन मेडिकल एसोसिएशन मेरठ ब्रांच सामने आई है। बुधवार को आईएमए के डॉक्टरों, पदाधिकारियों ने एसएसपी से मुलाकात कर डॉक्टरों के लिए न्याय मांगा है। वहीं मेडिकल कॉलेज में डॉक्टर लामबंद हो गए हैं। वहां भी मेडिकल के सभी छात्र-छात्राओं और जूनियर डॉक्टरों ने विरोध प्रदर्शन कर दिया है। प्रिंसिपल दफ्तर के सामने स्टूडेंट्स धरना प्रदर्शन करने बैठ गए हैं।
मेडिकल कॉलेज में प्रिंसिपल ऑफिस के सामने धरने पर बैठे जूनियर डॉक्टरो ने जमकर नारेबाजी की है। काम से हड़ताल पर जाने की चेतावनी भी दी है। अगर जूनियर डॉक्टरों को न्याय नहीं मिला तो हड़ताल पर जाएंगे, काम ठप्प कर देंगे। डॉक्टरों के हंगामे के बीच राज्यमंत्री सोमेंद्र तोमर मौके पर पहुंचे। राज्यमंत्री ने कहा कि सभी के साथ न्याय होगा। राज्यमंत्री ने एसएसपी और सीओ से बात कर मामले की सही जांच करने को कहा। सीओ और प्राचार्य जूनियर डॉक्टरों के साथ बात करेंगे और इस मामले का निस्तारण करेंगे।जूनियर डॉक्टरों का कहना है जब तक उनकी मांगें नहीं मानी जाएंगी, तब तक धरना प्रदर्शन जारी रखेंगे। उनकी मांग है कि मुकदमा वापस लिया जाए और उनके खिलाफ कोई कार्रवाई न की जाए।
बता दें पिछले दिनों इमरजेंसी का एक वीडियो वायरल हुआ था, जिसमें मारपीट हो रही थी। तीमारदारों ने आरोप लगाया था कि जूनियर डॉक्टरों ने उनके साथ मारपीट की है। पीड़ित परिवार कमालपुर का रहने वाला था और वह पांच साल के एक बच्चे का इलाज कराने के लिए इमरजेंसी आया था। इस मामले में 4 रेजीडेंट डॉक्टरों पर मेडिकल थाने में मुकदमा लिखा गया है। वीडियो वायरल होने के बाद 3 डॉक्टरों को उसी दिन डिप्टी सीएम के आदेश पर निलंबित कर दिया गया था।
वहीं इस मामले में आईएमए के प्रेसीडेंट डॉ. सुशील गुप्ता के साथ दूसरे डॉक्टर एसएसपी से मिले। डॉक्टरों ने कहा इस पूरे प्रकरण में एकतरफा कार्यवाही हो रही है। अभी तक जूनियर डॉक्टरों का पक्ष जानने का प्रयास नहीं किया गया, न ही इनकी तहरीर ली गई। उस दिन वार्ड में डॉक्टर पूरा ध्यान दे रहे थे लेकिन परिजनों के बार बार टोकने के कारण वो इरिटेट हुए। इसके बाद आपस में मारपीट होने लगी। डॉक्टरों ने एसएसपी से मांग की है कि, रेजीडेंट डॉक्टरों का पक्ष भी सुना जाए, इसे जाने बिना निर्णय लेना गलत है। साथ ही मामले में मेडिकल प्रोटेक्शन एक्ट की धाराएं भी लगाने की मांग की है। कहा कि डॉक्टरों पर जो जातिसूचक शब्द की धाराएं लगी हैं वो पूरी तरह गलत हैं, ऐसी कोई बात मौके पर नहीं हुई थी।
मरीजों को नहीं चिकित्सा सुविधा
जूनियर डाक्टर्स के विरोध प्रदर्शन करने और काम न करने के कारण मेडिकल में ओपीडी सेवाओं पर इसका असर पड़ा। मेडिसिन वार्ड में भर्ती मरीजों को चिकित्सा सेवाएं नहीं मिली। नर्सिंग स्टॉफ भी नदारद मिला जिससे मरीजों की देखभाल करने वाला कोई नजर नहीं आया। फिलहाल डॉक्टरों ने एक दिन की कामबंदी की है, लेकिन चेतावनी दी है कि मांगे नहीं माने जाने पर वह अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने को बाध्य होंगे। डाक्टर्स की मांग है मेडिकल प्रशासन ने जिन तीन जूनियर डाक्टरों को निलंबित किया है उन्हें बहाल किया जाए। इसके साथ ही तीमारदारों द्वारा एससी-एसटी एक्ट में दर्ज कराए मुकदमें को वापस लिया जाए।