रजत के बाद अब जीता सोना
मेरठ। मेरठ के किसान की बेटी पारूल चौधरी ने चीन के हांगझाऊ एशियाई खेलों में भारत की धाविका पारुल चौधरी ने इतिहास रच दिया। पारुल ने महिलाओं की 5000 मीटर दौड़ में मंगलवार (तीन अक्तूबर) को उन्होंने स्वर्ण पदक जीत लिया। वह इस स्पर्धा में भारत के लिए स्वर्ण जीतने वाली पहली महिला बन गई हैं।
पारुल ने एक दिन पहले ही एक पदक अपने नाम किया था। उन्होंने 3000 मीटर स्टीपलचेज में रजत जीतने में सफलता हासिल की थी।पारुल दौड़ में पहले पीछे चल रही थीं, लेकिन आखिरी कुछ सेकंड में उन्होंने गजब की वापसी की और कीर्तिमान रच दिया। इसी स्पर्धा में भारत की एक और एथलीट अंकिता छठे स्थान पर रहीं। पारुल ने पांच हजार मीटर दौड़ के फाइनल में 15:14:75 मिनट का समय लिया। शुरुआती 4000 मीटर तक पारुल पांचवें छठे स्थान पर थीं। आखिरी हजार मीटर में वह शीर्ष तीन और आखिरी 200 मीटर में शीर्ष दो में पहुंच गईं। जापान की रिरिका हिरोनाका उनसे आगे चल रही थीं। आखिरी 30 मीटर में पारुल ने गजब की हिम्मत दिखाई और जापान की रिरिका से आगे निकल गईं। जापान की रिरिका ने 15:15.34 मिनट का समय लिया और रजत जीता। कजाकिस्तान की चेपकोएच 15:23.12 मिनट के समय के साथ तीसरे स्थान पर रहीं। पारूल के द्वारा एशियाई खेलों में रिकार्ड बनाने जिला एथलेटिक्टस एसोशिएशन में जश्न का माहौल है।
पारुल के पिता करते हैं खेती
मेरठ की रहने वाली पारुल के पिता किसान हैं। पारुल का जन्म 15 अप्रैल, 1995 को हुआ था। वह उत्तर प्रदेश के मेरठ जिला की रहने वाली हैं। उनके पिता किशनपाल सिंह जिले के दौराला क्षेत्र के इकलौता गांव में किसान हैं। पारुल के चार भाई बहन हैं और वह अपने भाई बहनों में तीसरे नंबर पर हैं। उनकी माता राजेश देवी गृहणी हैं। पारुल की बड़ी बहन भी स्पोर्ट्स कोटे से सरकारी नौकरी पर हैं और पारुल का एक भाई उत्तर प्रदेश पुलिस में है।
क्षेत्रीय क्रीड़ा प्रतियोगिता से शुरू किया दौड़ना
भराला गांव के बीपी इंटर कॉलेज से बड़ी बहन प्रीति चौधरी के साथ पारुल चौधरी ने दौड़ प्रतियोगिता में भाग लेने की शुरुआत की। शुरुआती दिनों में बड़ी बहन से ही पारुल की प्रतिस्पर्धा रही। दोनों ने ही 1600 और तीन हजार मीटर में दौड़ना शुरू किया। चयन के दौरान बहन से ही प्रतिस्पर्धा होने के बाद परिजनों ने बड़ी बहन को पांच हजार मीटर में दौड़ने की सलाह दी। बहन के साथ शुरू हुई प्रतिस्पर्धा के बाद पारुल ने पीछे मुड़कर नहीं देखा और हंगरी में आयोजित वर्ल्ड एथलेटिक्स चैंपियनशिप में पदक से चूक जाने के बाद भी पारुल ने ओलंपिक के लिए क्वालिफाई किया था।
पारुल ने विश्व एथलेटिक्स चैंपियनशिप में राष्ट्रीय रिकॉर्ड तोड़ा था
पारुल ने हाल ही में बुडापेस्ट में खेले गए विश्व एथलेटिक्स चैंपियनशिप की तीन हजार मीटर स्टीपलचेज के फाइनल में भी कमाल किया था। वह इस दौड़ में 11वें स्थान पर रही थीं, लेकिन उन्होंने राष्ट्रीय रिकॉर्ड तोड़ दिया था। विश्व एथलेटिक्स चैंपियनशिप में उन्होंने 9:15.31 के समय के साथ दौड़ पूरी की थी। साथ ही पेरिस ओलंपिक के लिए भी क्वालिफाई कर लिया था। पारुल ने तब ललिता बाबर का राष्ट्रीय रिकॉर्ड तोड़ा था। ललिता ने रियो 2016 ओलंपिक में 9:19.76 के समय के साथ तीन हजार मीटर स्टीपलचेज की दौड़ पूरी की थी।