कोलकाता। पश्चिम बंगाल में राजभवन और राज्य सचिवालय के बीच स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर उन कैदियों की सूची को लेकर बयानबाजी और जवाबी बयानबाजी की स्थिति सामने आ गई है, जिन्हें इस अवसर पर रिहा किया जाना था।
एक तरफ मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा कि इस साल स्वतंत्रता दिवस के मौके पर कैदियों की रिहाई संभव नहीं है, क्योंकि गवर्नर हाउस ने राज्य सचिवालय द्वारा भेजी गई सूची को मंजूरी नहीं दी है।
गवर्नर हाउस ने जवाबी बयान जारी कर दावा किया है कि इस मामले की फाइल को मंजूरी नहीं दी गई, क्योंकि राज्य सरकार ने गवर्नर सी.वी. आनंद बोस के कार्यालय द्वारा मांगे गए सात स्पष्टीकरणों का राज्य सरकार ने कोई जवाब नहीं दिया।
राजभवन ने स्पष्ट किया है कि जिन 87 कैदियों के नाम रिहाई के लिए प्रस्तावित किए गए हैं, उनमें से 16 विदेशी हैं। सूत्रों ने कहा कि राजभवन ने विदेशी मूल के ऐसे कैदियों के नाम प्रस्तावित करने में राज्य सरकार से स्पष्टीकरण मांगा है।
सूत्रों ने बताया कि गवर्नर हाउस ने राज्य के गृह सचिव और महानिदेशक (जेल) को इस मामले पर चर्चा के लिए राजभवन आने के लिए भी कहा। लेकिन वे नहीं आए और इसलिए पूरी प्रक्रिया अनिश्चित हो गई।
इस बीच, राज्य सरकार ने तर्क दिया है कि स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर रिहा किए जाने वाले कैदियों की सूची तैयार करने के मामले में एक विशेष प्रोटोकॉल का पालन किया जाता रहा है, जिसका पालन इस साल भी किया गया।
प्रोटोकॉल के तहत, पहली सिफारिश राज्य के विभिन्न सुधार गृहों में रखे गए कैदियों के आचरण के आधार पर राज्य सुधार सेवा विभाग से आती है। फिर अन्य विभाग भी हैं, अर्थात् राज्य के गृह मामले, कानून और न्यायिक विभाग, जो राज्य सुधार सेवा विभाग द्वारा भेजी गई सिफारिशों की सूची का मूल्यांकन करते हैं।
उसके बाद ही अंतिम सूची तैयार की जाती है और राज्यपाल को उनके कार्यालय से मंजूरी के लिए भेजा जाता है। राज्य सुधार सेवा विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा “इस बार भी उसी प्रोटोकॉल का पालन किया गया और सूची वापस कर दी गई है।