ग्रेटर नोएडा। ग्रेटर नोएडा के किसानों की लंबे समय से चली आ रही मांग को प्राधिकरण बोर्ड ने पूरी कर दी है। शनिवार को संपन्न बोर्ड बैठक में किसानों के पक्ष में तीन अहम फैसले लिए गए।
पहला, अब तक जो किसान प्राधिकरण से प्राप्त आबादी की जमीन पर घर नहीं बना पाए हैं, वे अब बिना विलंब शुल्क के निर्माण कर सकते हैं। बशर्ते, अगर उन्होंने परिवार के बाहर बेच दिया तो सामान्य भूखंडों की शर्तें लागू होंगी।
दूसरा, किसानों को आवंटित आबादी भूखंडों के उप विभाजन की न्यूनतम सीमा 40 मीटर कर दी गई है जो कि अब तक 120 मीटर थी। बशर्ते यह विभाजन मूल काश्तकार और उनके उत्तराधिकारी गण के बीच नियोजन के नियमों को ध्यान में रखते हुए ही होगा।
तीसरा, ग्रामीण आबादी पर निर्माण की अधिकतम ऊंचाई नोएडा के समान करते हुए 11 मीटर से बढ़ाकर 15 मीटर कर दी गई है।
औद्योगिक विकास आयुक्त और ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के चेयरमैन मनोज कुमार सिंह की अध्यक्षता में शनिवार को ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण की 131 वीं बोर्ड बैठक हुई, जिसमें ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के सीईओ एनजी रवि कुमार, नोएडा प्राधिकरण के सीईओ डॉ. लोकेश एम और यमुना प्राधिकरण के एसीईओ कपिल सिंह, ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के एसीईओ मेधा रूपम, एसीईओ अमनदीप डुली व एसीईओ आनंद वर्धन समेत बोर्ड के अन्य प्रतिनिधिगण भी शामिल हुए।
जिसमें छह फीसदी और नियोजन की तरफ से ये तीनों प्रस्ताव रखे गये, जिस पर बोर्ड ने मुहर लगा दी है।
बोर्ड ने निर्णय लिया है कि भविष्य में किसान आबादी के भूखंडों पर मूल किसान या फिर उनके उत्तराधिकारीगण को प्राप्त भूखंडों पर भवन निर्माण करने, समय से न बना पाने पर विलंब शुल्क नहीं लगेगा, लेकिन अगर किसान ने परिवार के बाहर किसी व्यक्ति को भूखंड बेच दिए तो सामान्य भूखंडों की शर्तें लागू होंगी।
इसके साथ ही किसानों की एक और पुरानी मांग पर भी बोर्ड ने मंजूरी दे दी है। किसानों को प्राप्त होने वाले भूखंडों के उप विभाजन का न्यूनतम एरिया 40 मीटर कर दिया गया है। बशर्ते, आबादी भूखंडों पर इस उप विभाजन की अनुमति मूल कास्तकार और उसके उत्तराधिकारीगण को ही मिलेगी। बशर्ते यह विभाजन मूल काश्तकार और उनके उत्तराधिकारी गण के बीच नियोजन के नियमों को ध्यान में रखते हुए ही होगा। अब तक यह 120 मीटर था।
इसके साथ ही ग्रामीण आबादी पर निर्माण की अधिकतम ऊंचाई 15 मीटर करने की मांग भी प्राधिकरण बोर्ड ने मान ली है। वर्तमान समय में यह 11 मीटर है। इसे नोएडा के समान 15 मीटर कर दिया गया है।
प्राधिकरण से निर्मित फ्लैटों के आवंटियों के लिए ओटीएस पर बोर्ड की मुहर :
ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण ने अपने फ्लैट आवंटियों को बड़ी राहत दे दी है। प्राधिकरण बोर्ड ने शनिवार को बहुमंजिला फ्लैटों के आवंटियों के लिए एकमुश्त समाधान योजना (ओटीएस) को मंजूरी दे दी है।
अब यह ओटीएस तीन माह के लिए लागू होगी, जिससे प्रीमियम, अतिरिक्त प्रतिकर व लीज डीड विलंब शुल्क पर लगी पेनाल्टी से राहत मिल जाएगी। लगभग 2200 फ्लैट खरीदारों को इसका फायदा मिलने की उम्मीद है और प्राधिकरण को लगभग 468 करोड़ रुपये मिलने की उम्मीद है।
प्राधिकरण के संपत्ति विभाग की तरफ से बहुमंजिला फ्लैटों के आवंटियों के लिए एकमुश्त समाधान योजना (ओटीएस) का प्रस्ताव रखा गया। विभाग की तरफ से बोर्ड को बताया गया कि एकमुश्त समाधान योजना लागू करने से लगभग 2200 बहुमंजिला फ्लैटों की लीज डीड होने निष्पादित होने का अनुमान है।
इससे प्राधिकरण को 468 करोड़ रुपये की बकाया धनराशि भी प्राप्त हो सकती है। बोर्ड ने इस प्रस्ताव पर मुहर लगा दी। ओटीएस के लागू होने प्रीमियम की बकाया धनराशि और प्रतिकर पर पेनल्टी से राहत और लीज डीड के विलंब शुल्क की धनराशि पर 40 से 80 फीसदी (60 वर्ग मीटर तक के फ्लैट) और 20 से 40 फीसदी (60 वर्ग मीटर से अधिक) की राहत मिल जाएगी।
ग्रेटर नोएडा व ग्रेनो वेस्ट में पानी के बकाया बिलों को लेकर लंबे समय से चल रहा विवाद अब खत्म हो सकेगा। ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण बोर्ड ने साफ कर दिया है कि अपार्टमेंट ऑनर्स एसोसिएशन (एओए) के गठन की तिथि से पानी का बिल एओए देगा, जबकि इससे पहले का बिल बिल्डर को जमा करना होगा।
ग्रेटर नोएडा व ग्रेटर नोएडा वेस्ट में करीब 200 सोसाइटियां विकसित हो रही हैं। इनमें से अब तक लगभग 35 सोसाइटियों के पानी के बिल को लेेकर बिल्डर व एओए में लंबे समय से विवाद चल रहा है। अब तक कोई स्पष्ट पॉलिसी न होने के कारण अड़चन आ रही थी।
बिल्डर हैंडओवर होते ही सभी बकाया देयता के लिए एओए को जिम्मेदार बताने लगे हैं, जबकि एओए हैंडओवर से पहले के सभी देयता के लिए बिल्डर को जिम्मेदार मानते हैं। प्राधिकरण बोर्ड में इस आशय का प्रस्ताव रखा गया।
बोर्ड ने इस पर मुहर लगाकर साफ कर दिया कि अपार्टमेंट ऑनर्स एसोसिएशन (एओए) के गठन की तिथि से पानी का बिल एओए देगा, जबकि इससे पहले का बिल बिल्डर को जमा करना होगा। इससे प्राधिकरण को भी अब पानी का बकाया बिल लगभग 65 करोड़ प्राप्त करने में आसानी होगी।
71000 हेक्टेयर एरिया में बसेगा ग्रेनो फेस टू :
ग्रेटर नोएडा का फेस टू लगभग 40 हजार हेक्टेयर में बसाया जाएगा। प्राधिकरण बोर्ड ने मास्टर प्लान 2041 को मंजूरी दे दी है। ग्रेटर नोएडा का पहला फेज 31733 हेक्टेयर का है। दोनों चरण विकसित होने के बाद ग्रेटर नोएडा कुल लगभग 71 हजार हेक्टेयर का हो जाएगा।
ग्रेटर नोएडा फेस टू में उद्योगों को अधिक प्राथमिकता दी जाएगी। इसके अलावा आवासीय, ग्रामीण आबादी, मिक्स लैंड यूज, ग्रीनरी, संस्थागत, और ट्रांसपोर्ट के लिए एरिया प्रस्तावित की गई है।
435 करोड़ रुपये के कर्ज का बोझ कम करेगा प्राधिकरण :
जमीन अधिग्रहण, विकास कार्य समेत अन्य कार्यों के लिए ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण ने एनसीपीआरबी, विभिन्न बैंक व नोएडा प्राधिकरण से कर्ज ले रखा है।
प्राधिकरण किस्तों के भुगतान के साथ ही बकाया रकम का समय पूर्व भुगतान करने की कोशिश कर रहा है। इससे कर्ज के एवज में बैंकों व अन्य वित्तीय संस्थाओं के पास बंधक पूंजी भी छूट जाएगी। इसी क्रम में प्राधिकरण ने 435 करोड़ रुपये के कर्ज को चुकाने का निर्णय लिया है।
वित्त विभाग के इस प्रस्ताव पर बोर्ड ने मुहर लगा दी है। इस रकम में से लगभग 421 करोड़ रुपये एचडीएफसी बैंक और 14.50 करोड़ रुपये एनसीआरपीबी का है। प्राधिकरण इन लोन का चुकाकर बैंक गारंटी छुड़ा लेगा।
33 सेक्टरों में गंगाजल की सप्लाई :
ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण की बोर्ड के समक्ष 85 गंगाजल परियोजना की प्रगति रिपोर्ट भी प्रस्तुत की गई। जल विभाग के मुताबिक वर्तमान समय में 33 सेक्टरों में गंगाजल की आपूर्ति की जा रही है।
अगस्त माह तक 39 सेक्टरों तक गंगाजल पहुंचा दिया जाएगा। पहले चरण में कुल 58 सेक्टरों में गंगाजल पहुंचाये जाने की योजना है, जिसे आगामी सितंबर तक पूरा कर लिया जाएगा।