मेरठ। जिला स्वास्थ्य समिति के सहयोग से गोदरेज द्वारा संचालित फेमिली हेल्थ इंडिया की एंबेड परियोजना पिछले एक वर्ष से शहर की मलिन बस्तियों में घर-घर जाकर लोगों को मच्छर से होने वाली बीमारियों खासकर डेंगू और मलेरिया के प्रति सचेत कर रही है। अभियान से लोग में काफी हद तक मलेरिया व डेंगू के प्रति काफी जागरूक हुए हैं।
इस परियोजना के कार्यकर्ता लोगों के घरों में जाते हैं और उनको डेंगू और मलेरिया के बारे में जानकारी बताते हैं। वह बीमारी के लक्षण और बीमारी से बचाव के तरीके भी बताते हैं। लोगों को यह भी बताते हैं कि घर में मच्छर कहां कहां पैदा हो सकते हैं। बताते हैं कि फ्रिज के पीछे की ट्रे ,कूलर में, गमलों में, घर की छत पर पड़े हुए खाली बर्तनों में, ड्रम में भरे हुए खुले पानी में मच्छर का लार्वा पनपता है। कार्यकर्ता लोगों को लार्वा मिलने पर दिखाते भी हैं और अपने सामने ही उस कंटेनर की सफाई भी करवाते हैं।
परियोजना के कार्यकर्ता स्कूलों में जाकर स्कूली बच्चों को भी मच्छर जनित बीमारियों और उनसे बचाव की जानकारी देते हैं और उनसे आग्रह करते हैं कि हर रविवार मच्छर पर वार कार्यक्रम के तहत अपने घरों में साफ सफाई रखें, कहीं भी पानी न इकट्ठा होने दें, ताकि मच्छर न पनपें और डेंगू और मलेरिया जैसी जानलेवा बीमारियों से मुक्ति पाई जा सके।
एंबेड कार्यकर्ता आशा और आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के साथ में महिला आरोग्य समिति की मीटिंग भी करते हैं और सामुदायिक बैठकों का आयोजन कर लोगों को जागरूक कर रहे हैं। आशा कार्यकर्ताओं की कुशलता बढ़ाने के लिए उनको मच्छर जनित बीमारियों के बारे में प्रशिक्षण भी देते हैं।
जिला मलेरिया अधिकारी सत्य प्रकाश ने बताया – जुलाई माह में एक से 31 तारीख तक संचारी रोग एवं दस्तक अभियान चलाया जा रहा है। अभियान के तहत घर-घर जाकर लोगों को डेंगू, मलेरिया की जानकारी दी जा रही है। इसमें एंबेड परियोजना का काफी सहयोग मिला है। वह आशा कार्यकर्ताओं के साथ गृह भ्रमण भी कर रहे हैं और घरों में लार्वा चेक कर रहे हैं। संचारी रोग नियंत्रण अभियान के तहत अब तक एंबेड परियोजना के कार्यकर्ता 152 मलिन बस्तियों के लगभग 10,000 शहरी घरों का भ्रमण कर चुके हैं जिसमें से 100 घरों में लार्वा पाया गया है और अब तक लगभग 40000 कंटेनर का सर्वे हो गया है जिसमें से 100 कंटेनर में लार्वा पाया गया । जिन घरों में लार्वा पाया गया उनके कंटेनर की सफाई भी करवा दी गयी है। इससे उम्मीद है कि इस बार उन मलिन बस्तियों में डेंगू और मलेरिया पर नियंत्रण रहेगा।