नई दिल्ली। देश के पूर्व उप-प्रधानमंत्री व भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने भारत रत्न से सम्मानित किया है। राष्ट्रपति ने रविवार को आडवाणी के आवास पर पहुंचकर उन्हें भारत रत्न पुरस्कार प्रदान किया। इस दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी मौजूद रहे। 3 फरवरी को प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने लालकृष्ण आडवाणी को भारत रत्न प्रदान करने की घोषणा की थी।
रविवार को जब लालकृष्ण आडवाणी को भारत रत्न से सम्मानित किया गया तो मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अलावा उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़, पूर्व उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू समेत कई दिग्गज नेता मौजूद रहे।
इससे पहले राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 30 मार्च को देश की चार महान शख्सियतों- बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जननायक कर्पूरी ठाकुर, देश के पूर्व प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव, किसानो के मसीहा कहे जाने वाले पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह और देश के प्रसिद्ध कृषि वैज्ञानिक एमएस स्वामीनाथन को भारत रत्न से सम्मानित किया था। राष्ट्रपति भवन के दरबार हॉल में शनिवार को आयोजित एक कार्यक्रम में इन चारों विभूतियों को मरणोपरांत भारत रत्न से सम्मानित किया गया था।
गौरतलब है कि लालकृष्ण आडवाणी ने भारतीय जनता पार्टी को सत्ता के शिखर तक पहुंचाने में अहम भूमिका निभाई है। 1990 के दशक में उनकी रथयात्रा के बाद भाजपा राष्ट्रीय राजनीति में उभर कर सामने आई। 1980 में भाजपा की स्थापना के बाद से लालकृष्ण आडवाणी ने सबसे लंबे समय तक भाजपा के अध्यक्ष के रूप में कार्य किया। लगभग तीन दशकों के संसदीय करियर के दौरान, लालकृष्ण आडवाणी पहले गृह मंत्री और बाद में अटल बिहारी वाजपेयी सरकार (1999-2004) के मंत्रिमंडल में उप प्रधान मंत्री रहे।
8 नवंबर, 1927 को कराची, ब्रिटिश भारत (अब पाकिस्तान) में पैदा हुए लालकृष्ण आडवाणी विभाजन के बाद भारत आ गए। हैदराबाद के डीजी नेशनल कॉलेज से स्नातक करने के बाद, उन्होंने मुंबई के सरकारी लॉ कॉलेज में कानून की पढ़ाई की। इसके बाद वह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ में शामिल हो गए और 1947 में राजस्थान में इसकी गतिविधियों की कमान संभाली। जब 1951 में श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने आरएसएस की राजनीतिक शाखा, भारतीय जनसंघ (बीजेएस) की स्थापना की, तो लालकृष्ण आडवाणी पार्टी की राजस्थान इकाई के सचिव बने और 1970 तक इस पद पर बने रहे। 1960-1967 तक, वह जनसंघ की राजनीतिक पत्रिका ऑर्गनाइज़र में भी थे, जहां उन्होंने सहायक संपादक के रूप में काम किया।