टीबी टिवस 2024 विशेषः हाँ! हम टीबी को ख़त्म कर सकते हैं…


मेरठ। पीएम मोदी ने 2025 तक देश से टीबी को खत्म करने का लक्ष्य दोहराया है। लेकिन 5 साल में इस लक्ष्य को पूरा करने के लिए सामने हैं कई चुनौतियां है, लेकिन देशवासियों ने ठाना है, टीबी को मिटाना है! भारत सरकार का कहना है कि 2025 तक प्रति एक लाख लोगों पर टीबी के मामलों की संख्या सीमित करनी है। इसके लिए सामाजिक संस्था “ग्रामीण समाज विकास केंद्र”  भी अपने भरसक प्रयास में जुटी है। इसके लिए ब्लॉक मवाना के 25 गांव व दौराला के 25 गांव में टीबी के प्रति लोगों को जागरुक कर रही है।

संस्था के सचिव मेहरचंद ने बताया कि दुनिया भर में हर साल 24 मार्च को वर्ल्ड टीबी डे मनाया जाता है इस दिन को विश्व तपेदिक दिवस और क्षय रोग के नाम से भी पहचाना जाता है। इस खास दिन को मनाने के पीछे का उद्देश्य लोगों के बीच टीबी रोग के बारे में जागरूकता फैलाना है। इसके लिए स्वास्थ्य विभाग के साथ कदमताल करते हुए संस्था द्वारा ब्लॉक दौराला व मवाना के 25 गांव में 1086 लोगों को टीबी को जड़ से खत्म करने की शपथ दिलाई। 17 गांव में 1004 लोगों रैली के माध्यम से टीबी के खिलाफ संदेश दिया। 23 गांव में ग्राम स्तरीय बैठक की गई, 445 लोगों ने कार्यक्रम में भाग लिया।

घर-घर दस्तक दे रहे संस्था के युद्ववीर

टीबी को जड़ से खत्म करने के लिए संस्था में कार्यरत कार्यकर्ता किसी युद्वीर से कम नहीं है। ऐसे कार्यकर्ताओं में सुभाष, नीरज, देवेंद्र, धर्मेंद्र, राहुल, अमित व रेशमा अपनी जान की परवाह किए बिना टीबी संभावित मरीजों के घर-घर जाकर बलगम के सैंपल लेकर सीएचसी जांच के लिए भिजवाते है और पॉजिटिव मिलने पर इलाज मुहैया करवाने में मदद करते है। सीएचसी मवाना और दौराला की ओर से संस्था को भरपूर सहयोग प्राप्त हो रहा है । गतिविधियों के आयोजन में पी पी एम शबाना का महत्वपूर्ण योगदान मिल रहा है ।

30 वर्षों से सेवा दे रही ग्रामीण समाज विकास केंद्र

संस्था ने 30 वर्षों से महिला अधिकारों, बाल अधिकार, स्वास्थ्य तथा सुरक्षित गर्भ समापन के विषय पर काम किया है और आगे भी यह प्रयास निरंतर जारी रहेगा। पिछले तीन वर्षों से क्षय रोग पर भी काम कर रही है और क्षय रोग मरीज को पोषण पोटली भी वितरण करती है।

स्वंय सहायता समूह भी दे रहे जागरुकता संदेश
संस्था द्वारा बनाए गए समूह भी अपने-अपने क्षेत्र में टीबी के प्रति जागरुकता संदेश दे रहे है।

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