हर स्वास्थ्य केन्द्र पर की जाती है टीबी मरीजों की स्क्रीनिंग : मेहर चंद

मेरठ। जनपद के सामुदायिक-प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों, उपकेन्द्रों, आयुष्मान भारत वेलनेस सेंटर सहित जनपद के सभी स्वास्थ्य केन्द्रों पर एकीकृत निक्षय दिवस मनाया गया। राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन कार्यक्रम के तहत लोगों को जागरूक करने और टीबी मरीजों को खोजने के लिए चलाए जा रहे इस विशेष कार्यक्रम के सकारात्मक परिणाम सामने आ रहे हैं। ग्राम पंचायत बिसौला में एकीकृत निक्षय दिवस पर 100 से ज्यादा नए रोगियों का स्वास्थ्य जांच की गई। गौरतलब है कि जनपद में हर महीने की 15 तारीख को एकीकृत निक्षय दिवस मनाया जाता है। 15 तारीख को अवकाश होने पर इस अगले कार्य दिवस में मनाया जाता है।

संस्था के सचिव मेहर चंद ने बताया कि हर महीने की 15 तारीख को एकीकृत निक्षय दिवस मनाया जाता है। इस दिवस पर जनपद के सभी स्वास्थ्य केन्द्रों पर ओपीडी में आने वाले दस प्रतिशत मरीजों की लक्षणों के आधार पर टीबी की स्क्रीनिंग की जाती है। बिसौला ग्राम पंचायत में ग्रामीण समाज विकास केंद्र द्वारा हैल्थ कैंप का आयोजन किया गया जिसमें 100 से ज्यादा मरीजों की जांच की गई।, जिनमें टीबी जैसे लक्षण थे। बताया- बीमारी की पुष्टि होते ही मरीजों का उपचार शुरू कर दिया जाता है। आमतौर पर साधारण टीबी के मरीज छह माह का उपचार लेने के बाद ठीक हो जाते हैं। नियमित दवा न लेने अथवा अन्य कारणों से कुछ मरीजों को लंबे उपचार की जरूरत होती है।
शीघ्र पहचान, शीघ्र उपचार जरूरी
क्षय उन्मूलन के लिए सबसे जरूरी है टीबी मरीजों की शीघ्र पहचान होना, जितनी जल्दी पहचान, उतनी जल्दी उपचार और उतनी ही जल्दी टीबी संक्रमण का फैलना बंद। क्षय रोग इकाई का पूरा फोकस है कि टीबी मरीजों की जल्दी से जल्दी पहचान हो। पल्मोनरी (फेफड़ों की) टीबी मरीज के खांसने और छींकने से निकलने वाली बूंदों के सम्पर्क में आने से फैलती है। उपचार शुरू होने के दो महीने के बाद संक्रमण फैलने की आशंका लगभग खत्म हो जाती है।

लक्षण दो सप्ताह से अधिक खांसी या बुखार आना, खांसते समय बलगम या खून आना, रात में सोते समय पसीना आना, सीने में दर्द रहना, वजन कम होना, भूख कम लगना और थकान महसूस होना टीबी के लक्षण हो सकते हैं। ऐसे में तुरंत टीबी की जांच करानी चाहिए।

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