मोरना।आधुनिकता की चकाचोंध के बीच मानवीय संवेदनाओं के पतन को जाहिर कर रही हैं।विकास के दावों के बीच मैले कुचैले कपड़ों में खाने की तलाश में जानवरों की तरह अनेक इंसानी जिंदगियां सार्वजनिक स्थानों पर भटक रही हैं। मोरना में पिछले कई दिनों से अपनो को तलाश रही युवती मानव तस्करी का उदाहरण पेश कर रही है।
महानगरों के बाद छोटे शहरों और अब देहात क्षेत्र में अनजान, चेहरे बस स्टेण्ड धार्मिक स्थलों आदि सार्वजनिक स्थानो पर भटकते दिखते हैं।मैले कुचैले कपड़ों में कुछ पाने को आतुर प्रत्येक के सामने फैलते हाथ समाज के कोढ़ को ज़ाहिर करने के लिये काफी हैं।तिरस्कार और कभी कुछ मिल जाने पर गुजारा कर रही ये जिंदगियां कौन हैं ? मोरना बस स्टेण्ड पर पिछले कई दिनों से एक युवती इधर उधर भटक रही है।बस स्टैंड पर स्थित इन्टरकॉलिज की मार्किट में एक पेड़ के नीचे रखी बेंच इस युवती का आश्रय बन गयी है। फटे पुराने कपड़ों में एक पुराना सा बैग लिये यह युवती बदहवास हालत में है। युवती स्वयं को बिहार राज्य के एक जिले की निवासी बताती है।
दिल्ली गाजियाबाद में रहने व किसी के द्वारा मोरना में छोड़ जाने की बात युवती बता रही है।आखिर कौन व्यक्ति इस युवती को मोरना छोड़ गया है।और क्यूँ छोड़ गया है। यह आस-पास के व्यक्ति सोच रहे हैं।युवती की बदहवास हालत व बेचारगी अनहोनी के प्रश्नों को जन्म दे रही है। दिन के बाद रात भी बिना किसी सहारे के गुजारने को लेकर युवती के लिये सुरक्षा की चिंताएं बढ़ गयी हैं।
हाल में इसी प्रकार की कई युवतियों को क्षेत्र में भटकते देखा गया है। जिससे क्षेत्र में मानव तस्करी होने की आशंकाओं ने जन्म लिया है।आखिर कौन वह व्यक्ति हैं। जो शहरों से देहात क्षेत्र में इन युवतियों को लाकर छोड़ रहे हैं।कानूनी की पेंचीदगियों के बीच इस बेसहारा युवती को सहारा कौन दे या फिर भगवान भरोसे छोड़कर सामाजिक जिम्मेदारी की इतिश्री कर ले।