नई दिल्ली। दिल्ली सरकार के एक वरिष्ठ आईएएस अधिकारी ने अपनी एनुअल परफॉर्मेंस असेसमेंट रिपोर्ट (एपीएआर) को बेहतर दिखाने के लिए दो वरिष्ठ आईएएस अधिकारियों के फर्जी हस्ताक्षर कर दिए। जब यह रिपोर्ट केंद्रीय गृह मंत्रालय पहुंची और अफसरों के हस्ताक्षर का मिलान किया गया तो यह फर्जीवाड़ा पकड़ में आया।
दिल्ली सरकार के विशेष सचिव (सतर्कता) वाईवीवीजे राजशेखर की शिकायत पर मध्य जिले के आईपी एस्टेट थाना पुलिस ने एफआईआर दर्ज कर ली है। पुलिस पूछताछ के लिए उदित प्रकाश राय को बुलाने की तैयारी कर रही है।
पुलिस सूत्रों के अनुसार, राजशेखर ने अपनी शिकायत में कहा है कि आईएएस उदित प्रकाश राय ने अपनी एपीएआर को एसपीआर आरओडब्ल्यू पोर्टल पर भरने की बजाय मैन्युअल प्रविष्टियां दर्ज की। इसमें उन्होंने रिपोर्टिंग समीक्षा करने वाले अधिकारियों के हस्ताक्षर खुद ही करके प्रदर्शन मूल्यांकन रिपोर्ट नियम (पीएआरएस) में जालसाजी की है। उदित राज 2007 बैच के आईएएस अधिकारी हैं।
सूत्रों की मानें तो उदित प्रकाश राय लगातार अपनी एपीआरए ऑनलाइन भरने की बजाए ऑफलाइन भेज रहे थे। इस पर केंद्रीय गृह मंत्रालय को शक हुआ। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने चार जुलाई 2022 को दिल्ली सरकार को पत्र भेजकर जानकारी मांगी। दिल्ली सरकार के सतर्कता विभाग ने इस मामले की जांच की और अधिकारियों के हस्ताक्षर से मिलान कराया तो यह फर्जी पाया गया।
सतर्कता विभाग ने एपीएआर में 2017 से लेकर 2021 तक अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग समय पर समीक्षा अधिकारी रहे पांच वरिष्ठ आईएएस को पत्र भेजकर उनकी प्रतिक्रिया मांगी थी। इसमें आईएएस एचसीएल दास, विक्रम देव दत्त, चेतन भूषण सांघी, एच राजेश प्रसाद ने जवाब नहीं दिया है।
वहीं दो पूर्व आईएएस विजय देव और अनिंदो मजूमदार ने सतर्कता विभाग को अपना जवाब दिया। जवाब में उन्होंने कहा कि आईएएस की मैनुअल रिपोर्ट में उन्होंने हस्ताक्षर नहीं किया हैं। प्रविष्टि में उनके फर्जी हस्ताक्षर किए गए हैं। विजय देव अभी दिल्ली में राज्य चुनाव आयुक्त हैं। जबकि अनिंदो मजूमदार कोलकाता में सेंट्रल एडमिनिस्ट्रेटिव ट्रिब्यूनल (कैट) में सदस्य हैं।
पुलिस सूत्रों के अनुसार, उदित प्रकाश राय वही अधिकारी हैं जिन पर दिल्ली जल बोर्ड का सीईओ रहते हुए जल बोर्ड परिसर में स्थित ऐतिहासिक धरोहर को तुड़वाकर अपने लिए बंगला बनवाने का आरोप है। हाल ही में उदित ने दिल्ली सरकार के सतर्कता विभाग के विशेष सचिव राजशेखर के खिलाफ जांच के नाम पर प्रताड़ित करने की शिकायत दी थी। उन्होंने पत्र की प्रतिलिपि मुख्य सचिव के अलावा मुख्यमंत्री, एलजी और केंद्रीय गृह मंत्री को भेजा था।