टीबी के 50 मरीज लिये गोद, पोषण की जिम्मेदारी उठाएंगे

रोटरी क्लब और रहम फाउंडेशन ने ली पोषण की जिम्मेदारी

टीबी की जांच और उपचार समय से कराएं : डा. आरपी सिंह

नोएडा5 अक्टूबर 2023। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) बिसरख में बृहस्पतिवार को रोटरी क्लब इंदिरापुरम और रहम फाउंडेशन ने टीबी के 50 मरीजों को गोद लिया। उन्हें पोषण सामग्री प्रदान की गई।

इस अवसर पर जिला क्षय रोग अधिकारी (डीटीओ) डा. आरपी सिंह ने कहा- टीबी के मरीज को एक बार उपचार शुरू करने पर बीच में कतई नहीं छोड़ना चाहिए। अधिकतर मामलों में छह माह तक नियमित दवा खाने पर टीबी ठीक हो जाती है, लेकिन फिर भी जांच के बाद चिकित्सक की राय के बिना दवा न छोड़ें। उन्होंने सभी मरीजों के नजदीकी संपर्क वालों की भी टीबी जांच कराने की बात कही। डा. सिंह ने बताया-टीबी मरीजों को निक्षय पोषण योजना के तहत उपचार के दौरान प्रतिमाह 500 रुपये पोषण भत्ते के रूप में दिये जाते हैं। यह रकम सीधे खाते में भेजी जाती है। उन्होंने रोटरी क्लब और रहम फाउंडेशन का आभार व्यक्त करते हुए अन्य सामाजिक संस्थाओं का आह्वान किया कि वह भी इस नेक कार्य में अपना योगदान दें। क्षय (टीबी) रोगियों को गोद लेने से उन्हें पोषण सामग्री तो मिलती है साथ ही सामाजिक और भावनात्मक सहयोग भी मिलता है, जो उन्हें बीमारी से जल्दी ठीक होने में मदद करता है।

प्रभारी चिकित्सा अधिकारी डॉ. सचिन्द्र मिश्रा ने कहा – क्षय रोग लाइलाज नहीं है। समय से जांच और इलाज हो जाए तो मरीज़ जल्द स्वस्थ होकर सामान्य जीवन व्यतीत कर सकता है, अगर किसी व्यक्ति को दो सप्ताह से अधिक खांसी हो, बुखार हो, बलगम में खून आ रहा हो, उसका वजन कम हो रहा हो तो देर न करें। अपने नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र पर जाकर जांच कराएं और उचित इलाज कराएं, जिससे टीबी को हराया जा सके।

रहम फाउंडेशन के संस्थापक डा. धीरज भार्गव ने बताया- संस्था वर्ष 2016 से टीबी मरीजों को गोद लेकर उन्हें लगातार पोषण सामग्री के साथ-साथ सामाजिक और भावनात्मक सहयोग प्रदान कर रही है। उन्होंने कहा इस प्रयास के अच्छे परिणाम सामने आ रहे हैं। वर्ष 2021-22 में संस्था ने करीब 2200 टीबी मरीज गोद लिये थे। नियमित दवा और पोषण आहार का ध्यान रखा गया, जिसका सुखद परिणाम सामने आया। इनमें से करीब 1900 मरीज छह माह में ठीक हो गये। शेष को अन्य कारणों से ठीक होने में थोड़ा समय लगा। डा. धीरज ने बताया- उन्होंने उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल की अपील से प्रभावित होकर यह बीड़ा उठाया है। उन्होंने बताया- संस्था पहले केवल टीबी से ग्रसित बच्चों को ही गोद लेती थी, लेकिन महसूस हुआ कि बड़ों को भी पोषण और सहयोग की जरूरत है, तो 18 से 30 वर्ष की आयु वर्ग वालों को भी गोद लेना शुरू किया। वर्तमान में संस्था 70 प्रतिशत बच्चों और 30 प्रतिशत बड़े मरीजों को गोद लेकर उन्हें पोषण, सामाजिक व भावनात्मक सहयोग प्रदान कर रही है। पोषण किट में खिचड़ी, सोयाबीन, चना, चने की दाल और प्रोटीन दिया जाता है।

कार्यक्रम में जिला क्षय रोग अधिकारी डा. आरपी सिंह, प्रभारी चिकित्सा अधिकारी डा. सचिन्द्र मिश्रा, क्षय रोग विभाग से अम्बुज पांडेय, पवन भाटी, रविन्द्र राठी और रोटरी क्लब से अशोक अग्रवाल, नरेश ढींगरा,यतीन्द्र कालरा, योगेश त्यागी व सीएचसी बिसरख का समस्त स्टाफ उपस्थित रहा।

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