लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बुधवार को एक उच्चस्तरीय बैठक में वाराणसी और गोरखपुर में नए कमिश्नरी और कलेक्ट्रेट भवन के संबंध में प्रस्तुतिकरण का अवलोकन किया। इस दौरान मुख्यमंत्री ने कहा कि वाराणसी और गोरखपुर के कमिश्नरी कार्यालयों की पहचान आइकॉनिक बिल्डिंग के तौर पर होनी चाहिए। इसको ध्यान में रखकर दोनों कार्यालयों को डिजाइन करें। दोनों कमिश्नरी के भवनों में स्थानीय संस्कृति की झलक दिखाई दे।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि जनता की सहूलियत को ध्यान में रखते हुए हमें सभी कार्यालयों को एक जगह पर लाना है। एकीकृत कमिश्नरी कार्यालय का उद्देश्य यह है कि इससे सभी विभागों की मॉनिटरिंग करने में आसानी होगी। एक छत के नीचे सभी कार्यालयों के होने से जनता को भटकना नहीं पड़ेगा। वाराणसी और गोरखपुर कमिश्नरी कार्यालयों को हमें एक मॉडल के तौर पर प्रस्तुत करना है। इससे जनता के बीच एक सकारात्मक संदेश जाएगा।
उन्होंने कहा कि दोनों भवनों का निर्माण ऐसा हो जो व्यवहारिक लगे। कार्यालयों के लिए उतनी ही जमीन उपयोग में लें, जितनी आवश्यक हो। गोरखपुर और वाराणसी विकास प्राधिकरण इस बात का ध्यान रखें कि दोनों एकीकृत कार्यालयों में कॉन्फ्रेंस हॉल, ओपन ऑफिस, क्यूबिकल ऑफिस और स्टोरेज की व्यवस्था हो। साथ ही इन कार्यालयों में बैंक, जिम, कैफेटेरिया और पार्किंग की भी व्यवस्था रहे। कार्यालयों के बन जाने के बाद चरणबद्ध तरीके से गोरखपुर और वाराणसी में सभी कार्यालयों को शिफ्ट करें।
मुख्यमंत्री योगी ने कहा कि दोनों शहरों के विकास प्राधिकरण को निर्देश दिया कि मण्डलीय कार्यालयों में वाणिज्यिक और सरकारी कार्यालयों को अलग-अलग रखें। उन्होंने कहा कि दोनों ही शहरों में ट्विन बिल्डिंग के निर्माण कार्य में तेजी लाएं। इसमें एक में सभी सरकारी कार्यालय, जबकि दूसरे भवन का वाणिज्यिक उपयोग किया जाए। इसके अलावा नया भवन बनने के बाद जो भी कार्यालय खाली हों, उनके शिफ्ट कराए गए कार्यालयों की खाली भूमि को ‘मोनेटाइज’ कर व्यवसायिक उपयोग में लाएं।
इस प्रक्रिया को तेजी के साथ आगे बढ़ाया जाए। वाराणसी में भवन निर्माण और डिजाइन बनाने के लिए आईआईटी बीएचयू का भी सहयोग लिया जाए। अधिवक्ताओं के बैठने के लिए समुचित व्यवस्था हो। जनता, अधिकारी कर्मचारी और अधिवक्ताओं की गाड़ियों की पार्किंग की व्यवस्था होनी चाहिए और इनके लिए एंट्री एवं एग्जिट की अलग अलग व्यवस्था होनी चाहिए।