वानखेड़े में 18 हजार बच्चों ने बढ़ाया मुंबई इंडियन्स का हौसला

मुंबई। मुंबई इंडियंस ने आईपीएल में इस सीजन की पहली जीत दर्ज की। दिल्ली कैपिटल्स के खिलाफ मुंबई इंडियन की यह जीत इसलिए भी खास थी कि मुंबई के कोने कोने से आए 18,000 बच्चे, वानखेड़े स्टेडियम में मुंबई इंडियन टीम का उत्साह बढ़ा रहे थे। रिलायंस फाउंडेशन की पहल ‘एजुकेशन एंड स्पोर्ट्स फॉर ऑल’ यानी ईएसए नामक पहल से जुड़े इन बच्चों को विशेष तौर पर इस क्रिकेट मैच का आनंद उठाने के लिए निमंत्रित किया गया था। इस रोमांचक जीत के बाद मुंबई इंडियंस की मालकिन नीता एम अंबानी ने क्रिकेट के भगवान सचिन तेंदुलकर से बात की।

एजुकेशन एंड स्पोर्ट्स फॉर ऑल पर बोलते हुए नीता अंबानी ने कहा “आज अलग-अलग एनजीओ के 18000 बच्चे स्टैंड में मैच देख रहे हैं। मेरा मानना है कि खेल भेदभाव नहीं करता और प्रतिभा कहीं से भी आ सकती है। हो सकता है कि इनमें से कोई बच्चा खेल के शिखर पर पहुंच जाए। मुझे उम्मीद है कि वे बहुत सी यादें और अपने सपनों पर विश्वास करने की ताकत लेकर वापस जाएंगे।”

सचिन तेंदुलकर ने वानखेड़े स्टेडियम की अपनी पहली यादों के बारे में बात की और बताया कि कैसे उन्हें आज भी सब याद है। सचिन ने कहा “मेरे लिए बच्चे ही भविष्य हैं। यदि हम बेहतर कल चाहते हैं तो हमें आज काम करना होगा। श्रीमती अंबानी के मार्गदर्शन में रिलायंस फाउंडेशन ने दुनिया भर में कई बच्चों को अवसर दिए हैं। मुझे उम्मीद है कि वह शिक्षा के साथ-साथ खेल के क्षेत्र में भी ऐसा करती रहेंगी।”

नीता अंबानी ने ईएसए के बारे में बताया कि “हमने 14 साल पहले ईएसए शुरू किया था और यह पूरे भारत में 2 करोड़ 20 लाख बच्चों तक पहुंच चुका है। सचिन की तरह मेरा भी मानना है कि हर बच्चे को खेलने और शिक्षा का अधिकार होना चाहिए। बच्चे खेल के मैदान पर उतना ही सीखते हैं जितना वे कक्षाओं में सीखते हैं। खेल उन्हें अनुशासन और कड़ी मेहनत सिखाता है और इससे भी अधिक यह सिखाता है कि जीत और हार को कैसे स्वीकार किया जाए। ईएसए भारत के सुदूर गांवों और कस्बों के इन छोटे बच्चों के लिए लाखों दरवाज़े खोलता है।”

बताते चलें कि नीता अंबानी के नेतृत्व में ईएसए दरअसल रिलायंस फाउंडेशन की पहल पर शुरू किया गया था। अपने व्यापक ‘वी केयर’ विजन से प्रेरित होकर, रिलायंस फाउंडेशन पूरे वर्ष ईएसए के माध्यम से शिक्षा और खेल क्षेत्र में विभिन्न गतिविधियाँ करता रहता है। रिलायंस फाउंडेशन पूरे भारत में 2 करोड़ 20 लाख से अधिक बच्चों के जीवन को प्रभावित कर चुका है।

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